जयपुर। एकाएक बढ़ते ही जा रहा कोरोना वायरस के प्रकोप ने आज पूरी दुनिया के लिए महामारी का रूप ले लिया है। इस वायरस की चपेट में आने से दुनियाभर में अब तक 37 हजार से अधिक मौते हो चुकी हैं, लेकिन अब भी मौत का आंकड़ा कम होता नहीं दिख रहा है। इस वायरस ने आज पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया है। कई देशों के अस्पतालों में बेड भी नहीं बचे है तो कही खुद डॉक्टर्स इस वायरस का शिकार बनते जा रहें है।
चीन में हालात तेजी से सुधरते दिख रहे
दुनियाभर में फैल चुके कोरोना महामारी के बीच विश्व बैंक ने चीन समेत पूर्वी एशिया के आर्थिक हालात का जायजा लिया है। कोरोना से पड़ने वाले आर्थिक प्रभाव को लेकर विश्व बैंक की यह रिपोर्ट चौंकाने वाली है। गौर करने वाली बात यह है कि यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है, जब यह कहा जा रहा है कि पूरी दुनिया कोरोना से संघर्ष कर रही है लेकिन इस बीच चीन में हालात तेजी से सुधरते दिख रहे हैं।
1.1 करोड़ लोग गरीबी की ओर चले जाएंगे
वर्ल्ड बैंक ने अपनी ताजा रिपोर्ट में बताया है कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण इस साल चीन तथा अन्य पूर्वी एशिया प्रशांत देशों में अर्थव्यवस्था की रफ्तार बहुत धीमी रहने वाली है जिससे 1.1 करोड़ लोग गरीबी की ओर चले जाएंगे। वर्ल्ड बैंक का कहना है कि पूर्वी एशिया में इस वर्ष विकास की रफ्तार 2.1 फीसदी रह सकती है जो 2019 में 5.8% थी। इसमें कहा गया है कि चीन की विकास दर भी पिछले साल की 6.1 फीसदी से घटकर इस साल 2.3 फीसदी रह जाएगी। बैंक का अनुमान है कि 1.1 करोड़ से अधिक संख्या में लोग गरीबी के दायरे में आ जाएंगे।
इस रिपोर्ट के विपरीत विश्व बैंक की ताजा रिपोर्ट
यह अनुमान पहले के उस अनुमान के विपरित है जिसमें कहा गया था कि इस वर्ष विकास दर पर्याप्त रहेगी और 3.5 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर उठ जाएंगे। इसमें कहा गया है कि चीन की विकास दर भी पिछले साल की 6.1 फीसदी से घटकर इस साल 2.3 फीसदी रह जाएगी।
कोरोना विश्वव्यापी संकट – विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री
रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि कोरोना महामारी से चीन के आर्थिक विकास पर ग्रहण लग सकता है। यह चीन के विकास गति पर पूरी तरह से ब्रेक लगा सकती है। पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र के विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री आदित्य मट्टू ने कहा कि हालांकि, यह विश्वव्यापी संकट है, लेकिन इससे चीन समेत पूर्वी एशिया मुल्कों में गरीबी में तेजी से इजाफा होगा। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पूर्वी एशिया में 1.1 करोड़ लोग गरीब हो जाएंगे।