जयपुर। राज्य में रीको औद्योगिक क्षेत्रों के साथ ही अन्य औद्योगिक क्षेत्रों व ग्रामीण इलाकों में स्थापित 210 से अधिक वृहदाकार औद्योगिक इकाइयां आरंभ हो गई है। अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि परस्पर समन्वय व सहयोग से औद्योगिक गतिविधियों में तेजी आने का परिणाम है कि प्रदेश में 500 से अधिक खाद्य तेल मिलों में उत्पादन आरंभ हो गया है।
500 तेल मिलों में 3 हजार टन प्रतिदिन खाद्य तेल का उत्पादन
इन 500 तेल मिलों द्वारा एक मोटे अनुमान के अनुसार 3 हजार टन प्रतिदिन खाद्य तेल का उत्पादन किया जाने लगा है। एसीएस उद्योग डॉ. अग्रवाल ने बताया कि राजस्थान से देश के जाने माने ब्रॉण्डनेम के खाद्य तेलों का उत्पादन होता है। उन्होंने बताया कि अडानी विल्मर, काण्डा ऑयल मिल, रुचि सोया, खंडेलिया ऑयल मिल, मणीशंकर ऑयल मिल जैतपुरा, श्री हरी ऑयल मिल, गोयल वेज ऑयल कोटा, शिव एडिवल, भवानी फेट्स, श्री फेेट एण्ड प्रोटिन सहित कई जानी मानी खाद्य तेल मिलों में उत्पादन हो रहा है। उन्होंने बताया कि एक मोटे अनुमान के अनुसार इन तेल मिलों में 11500 से अधिक श्रमिक काम कर रहे हैं।
इन खाद्य तेल का उत्पादन
डॉ अग्रवाल नेे बताया कि राज्य में फार्च्यून, महाकोष, ज्योतिकरण, कबीरा, सदाबहार, इंजन जाने माने ब्राण्ड के खाद्य तेल का उत्पादन हो रहा है और इन ब्राण्डों की समूचे देश में पहचान और मांग है। उन्होंने बताया कि जल्दी ही अन्य तेल मिलों में भी उत्पादन आरंभ होने की संभावना है।
उत्पादन क्षमता का करीब 50 प्रतिशत ही उपयोग
एसीएस उद्योग डॉ. अग्रवाल ने बताया कि तेल मिलों द्वारा लॉकडाउन परिस्थितियों और केन्द्र व राज्य सरकार की एडवाईजरी और स्वास्थ्य सुरक्षा प्रोटोकोल को देखते हुए अपनी उत्पादन क्षमता का करीब 50 प्रतिशत ही उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि धीरे धीेरे उत्पादन क्षमता में बढ़ोेतरी होेगी। प्रदेश में बड़ी संख्या में एमएसएमई उद्योगों ने भी काम शुरु करने की पहल की है। इससे राज्य में औद्योगिक गतिविधियां पटरी पर आने लगी है।
सरसों उत्पादन में समूचे देश में अग्रणी राजस्थान
उद्योग आयुक्त मुक्तानन्द अग्रवाल ने बताया कि राजस्थान सरसों उत्पादन में समूचे देश में अग्रणी है। वहीं सोयाबीन और मूंगफली का भी प्रमुख उत्पादक प्रदेश है। उन्होंने बताया कि प्रदेश से जाने-माने ब्राण्डों से सरसों, सोयाबीन और मूंगफली के तेल का उत्पादन हो रहा है। राज्य के तेल की प्रदेश से बाहर भी पहचान और मांग है। राजस्थान के सरसों तेल की बंगाल और बिहार में बहुत अधिक मांग है।