मौजूदा मानसून सीजन के शुरू में हल्की बारिश के बाद जुलाई और अगस्त के पहले पखवाड़े में अच्छी बारिश होने के कारण कपास का उत्पादन बढ़ने की संभावना है। मौसम पूर्वानुमान जारी करने वाली प्राइवेट कंपनी स्काईमेट वेदर सर्विसेज ने अभी तक की बारिश का विश्लेषण करके यह उम्मीद जताई है। स्काईमेट के अनुसार सोयाबीन, धान और दलहनी फसलों के उत्पादन में कमी आ सकती है कि बुआई में देरी हुई।
जुलाई से अच्छी बारिश होने से कमी की भरपाई
स्काईमेट के बयान के अनुसार जून में कमजोर मानसून के बाद जुलाई में कई इलाकों में अच्छी बारिश दर्ज की गई। जुलाई के शुरुआती 10 दिनों के दौरान देश के मध्य, पूर्वी और पूर्वोत्तर क्षेत्रों में सबसे अच्छी वर्षा हुई। इस दौरान बारिश में कमी रोजाना दो-तीन फीसदी कम होती गई।
बारिश के आंकड़ों के अनुसार एक जून से 15 अगस्त के बीच भारत में 582 मिलीमीटर बारिश हुई, 578 मिमी जो सामान्य बारिश से एक फीसदी अधिक है जो जून की 33 फीसदी कम बारिश के बिल्कुल विपरीत है। जुलाई और अगस्त के पहले पखवाड़े में हुई अच्छी बारिश के चलते कुल वर्षा का आंकड़ा सामान्य स्तर पर पहुंच गया। स्काईमेट के अनुसार जुलाई में कुछ इलाकों में अत्यधिक बारिश के कारण कई क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई। सबसे अधिक प्रभावित राज्यों में असम, बिहार, उत्तर प्रदेश और पंजाब रहे।
कपास उत्पादन 14 फीसदी बढ़ने का अनुमान
स्काइमेट का अनुमान है कि 2019-20 में उत्पादकता में सुधार के कारण कपास के उत्पादन में 14 फीसदी की वृद्धि हो सकती है। इसका उत्पादन पिछले साल के 300.8 लाख गांठ (प्रति गांठ 170 किलो) के मुकाबले 342.1 लाख गांठ हो सकती है।
सोयाबीन का उत्पादन 12.5 फीसदी घटेगा
सोयाबीन के उत्पादन में 12.5 फीसदी की गिरावट की आशंका है। स्काइमेट का आंकलन है कि उत्पादकता प्रभावित होने के कारण सोयाबीन का उत्पादन पिछलेसाल के 136.9 लाख टन की तुलना में 119.9 लाख टन रह सकता है। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के कई जिलों में सामान्य से बहुत अधिक बारिश के कारण सोयाबीन की फसल पर काफी बुरा असर देखने को मिल सकता है।
धान की भी पैदावार कम रहेगी
धान के उत्पादन में भी गिरावट की आशंका है। इस साल 886.6 लाख टन धान के उत्पादन की संभावना है, जो पिछले साल के 1019.6 लाख टन की तुलना में 13 फीसदी कम है। मानसून वर्षा के असंतुलन के कारण धान की फसल पर नकारात्मक प्रभाव संभावित है।
दलहनों में मामूली गिरावट का अनुमान
खरीफ सीजन में दलहनी फसलों की स्थिति भी अच्छी नहीं है। स्काइमेट का आंकलन है कि दलहन फसलों के उत्पादन में 0.5 फीसदी की गिरावट आ सकती है। इस साल पिछले साल के इसी सीजन के 85.9 लाख टन की तुलना में 85.3 लाख टन दालों के उत्पादन का अनुमान है। बुआई क्षेत्र में कमी और देर से बुआई के कारण दालों के उत्पादन में गिरावट की मुख्य वजह माना जा रहा है।