नई दिल्ली| खाद्य वस्तुओं और विनिर्मित उत्पादों की कीमतों में कमी से थोक कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति जुलाई में घटकर 13.93 फीसदी पर आ गई। थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति इससे पिछले महीने 15.18 फीसदी और मई में 15.88 फीसदी की रिकॉर्ड ऊंचाई पर थी। यह पिछले साल जुलाई में 11.57 फीसदी थी।
डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति में जुलाई के दूसरे महीने से गिरावट का रुख देखने को मिला। इससे पहले पिछले साल अप्रैल से लगातार 16वें महीने में यह दोहरे अंकों में थी। जुलाई में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति घटकर 10.77 प्रतिशत रह गई, जो जून में 14.39 प्रतिशत थी। सब्जियों के दाम जुलाई में घटकर 18.25 फीसदी पर आ गए, जो पिछले महीने 56.75 फीसदी पर थे।
अगर ईंधन और बिजली की बात करें तो इसकी महंगाई दर जुलाई में 43.75 फीसदी रही, जो इससे पिछले महीने 40.38 फीसदी थी। विनिर्मित उत्पादों और तिलहन की मुद्रास्फीति क्रमशः 8.16 प्रतिशत और नकारात्मक 4.06 प्रतिशत थी।
भारतीय रिजर्व बैंक मुख्य रूप से मौद्रिक नीति के जरिए मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखता है। खुदरा मुद्रास्फीति लगातार सातवें महीने रिजर्व बैंक द्वारा तय लक्ष्य से ऊपर रही। जुलाई में यह 6.71 फीसदी पर थी। महंगाई पर काबू पाने के लिए आरबीआई ने इस साल प्रमुख ब्याज दर को तीन बार बढ़ाकर 5.40 फीसदी कर दिया है। केंद्रीय बैंक ने 2022-23 में खुदरा मुद्रास्फीति के 6.7 फीसदी पर रहने का अनुमान जताया है।