नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) ने आयकर अधिकारियों (Income tax Officers) से उन निजी अस्पतालों, नर्सिंग होमों पर नजर रखने को कहा है, जहां नकद भुगतान लेकर कोविड-19 का उपचार किया जा रहा है। इस कदम का मकसद कर चोरी रोकना है। मंत्रालय ने कर अधिकारियों से कहा है कि बेहिसाब नकदी मिले तो संबंधित अस्पतालों पर भारी जुर्माना लगाया जाए और उनके खिलाफ धनशोधन निरोधक अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर कार्रवाई की जाए।
अस्पताल से रकम का दावा नहीं कर पाए
मंत्रालय (Finance Ministry) ने निजी अस्पतालों द्वारा नकद भुगतान लिए जाने और उसे बहीखातों में नहीं चढ़ाए जाने पर चिंता जताई थी। उसके बाद ही ये निर्देश दिए गए हैं। मामले से वाकिफ एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हमें ऐसे कई मामले पतात चले हैं, जहां निजी अस्पतालों ने मरीजों के परिजनों से भारी रकम नकद मांगी मगर उन्हें बहुत कम रकम का बिल दिया। जब मरीज के परिजनों ने सही इलाज नहीं मिलने के कारण उसे दूसरे अस्पताल में ले जाने की कोशिश की तो वे अस्पताल से रकम का दावा नहीं कर पाए।’
अघोषित नकदी लेने का संदेह हो
बताया जाता है कि मंत्रालय (Finance Ministry) ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (Central Board of Direct Taxes) (सीबीडीटी) से कहा है कि पहले चरण में ऐसे 20 फीसदी निजी अस्पतालों को चिह्नित किया जाए, जिन पर अघोषित नकदी लेने का संदेह हो। इस बात की जांच की जाए कि मरीजों से उन्होंने कितनी घोषित और अघोषित नकदी ली है और इस बारे में उनसे जवाब भी तलब किया जाए।
निजी अस्पताल को कर विभाग के समक्ष समुचित खुलासा
आयकर विभाग (Income tax) से यह भी कहा गया है कि वे प्रत्येक निजी अस्पताल को कर विभाग के समक्ष समुचित खुलासा करने को कहें, जिसमें बताया जाए कि उन्हें कितनी नकदी मिली है, किस मरीज से मिली है और वह नकदी किस बैंक में जमा की गई है। इसका पूरा ब्योरा अस्पताल से मांगा जाए। अगर कोई अस्पताल नियम का बार-बार उल्लंघन करता मिले तो उसके खिलाफ धनशोधन निरोधक अधिनियम (Anti money laundering act) के तहत कार्रवाई की जाए और कर चोरी का मामला दर्ज किया जाएगा।
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