लंदन. ब्रिटेन की एक अदालत ने शुक्रवार को नीरव मोदी की दूसरी जमानत याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि इस बात के पर्याप्त प्रमाण हैं कि भगोड़ा हीरा कारोबारी आत्मसमर्पण नहीं करेगा। 48 वर्षीय नीरव मोदी दूसरी बार जमानत की याचिका लेकर वेस्टमिंस्टर की मजिस्ट्रेट अदालत के सामने पेश हुआ। सुनवाई के दौरान अदालत में कई पल दिलचस्प रहे। न्यायाधीश एमा अर्बुथनोट ने नीरव मोदी की दूसरी जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए अभियोजन पक्ष से पूछा कि अगर नीरव मोदी को भी भारत को भी प्रत्यर्पित किया गया तो क्या भगोड़े हीरा कारोबारी को विजय माल्या के साथ एक ही जेल में रखा जाएगा। गौरतलब है कि भगोड़ा हीरा कारोबारी नीरव मोदी पर 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर की धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप हैं। सुनवाई की शुरुआत में, वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट के चीफ मजिस्ट्रेट अर्बुथनॉट ने कहा कि उन्हें पिछले साल दिसंबर में माल्या के प्रत्यर्पण का आदेश देने के दौरान नीरव मोदी के प्रत्यर्पण का भी आभास हो रहा था। जज ने पूछा कि क्या आप बता सकते हैं कि भारत के किस हिस्से में माल्या की मांग की जा रही है। जज यह बात पूछने की कोशिश कर रहे थे कि नीरव मोदी को किस जेल में रखा जाएगा। मामले में भारत की ओर से बहस कर रहे क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (CPS) द्वारा कहा गया था कि यह प्रत्यर्पण मुंबई के लिए होगा और वह वास्तव में उसी आर्थर रोड जेल के लिए किया जा सकता है जैसा कि शराब कारोबारी माल्या के लिए किया गया। जिस पर जज ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि दोनों के लिए एक ही जेल हो सकती है, जैसा कि माल्या प्रत्यर्पण सुनवाई के दौरान पेश किए गए पिछले वीडियो से पता चला था कि जेल में पर्याप्त जगह है। बचाव और अभियोजन पक्ष की दलीलें सुनने के बाद मुख्य मजिस्ट्रेट एमा अर्बथनॉट ने कहा कि नीरव मोदी की ओर से वानूआतू की नागरिकता हासिल करने की कोशिश से पता चलता है कि वह अहम समय में भारत से दूर जाना चाहता है।
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