वेदांता की प्रस्तुति, मारुति सुजुकी के सहयोग और वीदा द्वारा संचालित जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2025 की शानदार शुरुआत
जयपुर. दुनिया भर में पुस्तकों और विचारों के सबसे भव्य उत्सव के रूप में प्रसिद्ध, वेदांता की प्रस्तुति, मारुति सुजुकी के सहयोग और वीदा द्वारा संचालित जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2025 की सुरीली शुरुआत शास्त्रीय गायिका सुप्रिया नागराजन द्वारा प्रस्तुत गणेश वंदना और नाथूलाल सोलंकी के समूह द्वारा बजाए गए नगाड़ों की धमक और अनुगूँज के साथ हुई, जिसने गुलाबी शहर की हवा में फेस्टिवल का रंग घोल दिया।
दिन के कुछ मुख्य आकर्षण
18वें जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल की शुरुआत जयपुर के होटल क्लार्क्स आमेर में एक उद्घाटन समारोह के साथ हुई, जिसमें संगीत, स्वागत भाषण और पारंपरिक दीप प्रज्वलन के कार्यक्रम शामिल थे। सुबह की शुरुआत कर्नाटक गायिका सुप्रिया नागराजन की मुग्ध कर देने वाली प्रस्तुति के साथ हुई। फेस्टिवल की सह-निदेशक नमिता गोखले और विलियम डैलरिम्पल ने इस वर्ष के कार्यक्रमों के बारे में बात की, जिसमें मुख्य सत्रों पर प्रकाश डाला गया, जबकि फेस्टिवल के निर्माता और टीमवर्क आर्ट्स के प्रबंध निदेशक संजॉय के. रॉय ने फेस्टिवल के 18 साल के सफर पर बात की। मंच पर मौजूद गणमान्य व्यक्तियों अपूर्व और टिम्मी कुमार, वेंकी रामकृष्णन, फेथ सिंह, यूरोपीय संघ के राजदूत महामहिम हर्वे डेल्फिन, संजय और ज्योति अग्रवाल द्वारा दीप प्रज्वलन किया गया। प्रसिद्ध जीवविज्ञानी और नोबेल पुरस्कार विजेता वेंकी रामकृष्णन ने मुख्य भाषण दिया, जिन्होंने कला और विज्ञान के मिलन-बिन्दु पर चर्चा की। उद्घाटन समारोह का समापन महात्मा गांधी की स्मृति में दो मिनट का मौन रखकर हुआ, जिनकी 77 साल पहले आज ही के दिन हत्या कर दी गई थी।
वेदांता प्रस्तुति, मारुति सुजुकी के सहयोग और वीदा द्वारा संचालित जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2025, के पहले दिन के सत्रों में प्रतिष्ठित वक्ताओं ने अपने विचार रखे, जिनमें नोबेल पुरस्कार विजेता एस्थर डुफ्लो, कैलाश सत्यार्थी, गिदोन लेवी, विलियम डैलरिम्पल, इजेओमा ओलुओ, गीतांजलि श्री, जावेद अख्तर और वेंकी रामकृष्णन शामिल थे। सत्रों में लोकतंत्र और समानता, भू-राजनीति, जीवनी और संस्मरण, इतिहास और संस्कृति जैसे विषयों पर चर्चा हुई।
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल की सह-निदेशक नमिता गोखले ने कहा, “यह फेस्टिवल, जिसे धरती का सबसे बड़ा साहित्यिक आयोजन कहा जाता है, एक तरह की तीर्थयात्रा है। यह विचार और चेतना का मिलन है, शब्द और अर्थ की खोज का मंच है।”
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के सह-निदेशक विलियम डैलरिम्पल ने कहा, “मानवता की कहानी की शुरुआत से ही, साहित्य की समाज में उपस्थिति रही है लेकिन यह थोड़ी अलग तरह से रही है, भारत में यह उपस्थिति हमेशा से मजबूत रही है।”
टीमवर्क आर्ट्स के प्रबंध निदेशक संजॉय के. रॉय ने कहा, “आज हमारे आसपास जो अंधेरा है, जो युद्ध हैं, जो नफरत है जो सब कुछ निगल रही है, उसमें एक चीज जो हमें सांत्वना दे सकती है, वह है लेखन और पुस्तकें।”
प्रस्तुति-सहयोगी, प्रिया अग्रवाल हेब्बर, जो की वेदांता लिमिटेड की गैर-कार्यकारी निदेशक और हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड की चेयरपर्सन हैं, उन्होंने कहा, “कहानियों में लोगों को जोड़ने और बदलाव को प्रेरित करने की शक्ति होती है। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल, विभिन्न आवाजों और पूरी दुनिया के मुद्दों पर बात करते हुए, विचारों के विकसित होने और कहानियों पर बातचीत को बढ़ावा देने की जगह है। वेदांता में, हम परिवर्तन की कहानियां बनाने में विश्वास करते हैं। हिंदुस्तान जिंक और केयर्न ऑयल एंड गैस के माध्यम से, राजस्थान में हमने अनिल अग्रवाल फाउंडेशन के माध्यम से सामाजिक-हित में कई पहल की हैं, जिन्होंने लोगों को स्थायी आजीविका प्रदान की है और सूक्ष्म उद्यमों का समर्थन किया है जिसने बहुत से समुदायों पर सकारात्मक प्रभाव डाला है । 17.3 मिलियन लोगों तक पहुंचने वाली इन सामाजिक प्रभाव पहलों के साथ, यह फेस्टिवल महज एक उत्सव से कहीं अधिक है – यह वेदांता के संस्कृति और प्रगति को मिलाने के दृष्टिकोण का प्रतिबिंब है, जो एक ऐसे भविष्य को बढ़ावा देता है जहां हर कहानी सामूहिक विकास में योगदान देती है।”
एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक के प्रमोटर, एमडी और सीईओ, श्री संजय अग्रवाल ने कहा, “जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल एक ऐसा आयोजन है जिसका सबसे ज्यादा इंतजार रहता है, और मुझे टीमवर्क आर्ट्स के साथ जुड़कर बदलाव को प्रेरित करने और जीवन को प्रभावित करने के प्रयास में शामिल होने पर गर्व है। जेएलएफ मेरे लिए और भी खास है क्योंकि इसने जयपुर को विश्व मानचित्र पर स्थापित किया है, जिसने अभिव्यक्ति की आज़ादी और विचारों के लिए एक ऐसा मंच बनाया है जो दुनियाभर में प्रसिद्ध है, जिससे हम दुनिया को बेहतर समझ पाते हैं। इतिहास में, साहित्य क्रांतिकारी विचारों और सामाजिक परिवर्तनों को प्रेरित करता रहा है, और इस वर्ष भी मैं जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के 18वें संस्करण में ऐसे कई विचारों को देखने की उम्मीद कर रहा हूं।”
उद्घाटन सत्रों में से एक सत्र ‘आवर सिटी दैट इयर’ में इंटरनेशनल बुकर पुरस्कार विजेता गीतांजलि श्री ने समझाया कि “सीमाओं” की अवधारणा और व्यक्तियों, समुदायों और समाजों से जुड़ी हुई है। सांप्रदायिकता लोगों को एक ही परिभाषा में बांध देती है, और श्री ने कहा की उनका उपन्यास ‘हमारा शहर उस बरस’ उनका सबसे उपदेशात्मक उपन्यास, क्योंकि यह भारत में सांप्रदायिकता का सीधे सामना करता है। “कोई भी सीमा पूरी तरह से सील नहीं है, यहां तक कि हमारी पहचान भी नहीं। यही वह चीज है जिसने लोगों के बीच हर तरह के आदान-प्रदान को संभव बनाया है, और यही वह चीज है जिसने संस्कृतियों को समृद्ध किया है। यह आत्मनिरीक्षण करने और खुद से सवाल करने की जरूरत है? यही सवाल इस किताब के पात्रों को परेशान करता है”
‘ज्ञान सीपियां: पर्ल्स ऑफ विजडम’ नामक सत्र में, कवि और लेखक जावेद अख्तर ने मातृभाषा सीखने के महत्व पर जोर देते हुए कहा, “किसी अन्य भाषा (अंग्रेजी) को सीखने की कीमत आपकी अपनी भाषा नहीं होनी चाहिए। मैं चाहूंगा कि हमारे बच्चे कई भाषाएं बोलने में सक्षम हों।“ उन्होंने आगे कहा, “फासीवाद में कोई कविता नहीं है, क्योंकि कविता प्रेम की भाषा में लिखी जाती है, जबकि फासीवाद नफरत पर आधारित होता है।”
एक और दिलचस्प सत्र में फेस्टिवल की सह-निदेशक और पुरस्कार विजेता लेखिका नमिता गोखले ने मध्यकालीन रहस्यमयी और स्वतंत्र साधु द्रुक्पा कुनले पर नीद्रुप जांगपो के साथ चर्चा की। संत द्रुक्पा कुनले हिमालय के पार बहुत लोकप्रिय हैं। पारंपरिक धारणाओं को चुनौती देते हुए, द्रुक्पा कुनले बौद्ध धर्म के पुराने सिद्धांत को नकारते हैं और, यहां तक कि सामान्य तर्कों पर भी सवाल उठाने की बात करते हैं। नीद्रुप जांगपो की किताब “द्रुक्पा कुनले: सेक्रेड टेल्स ऑफ द मैड मोंक” में साधु के जीवन और उनके अनोखे दृष्टिकोण के बारे में बताया गया है। इस सत्र में, जांग्पो और नमिता गोखले इसकी तह में जाने का प्रयास करते हैं कि आखिर किस तरह द्रुक्पा कुनले हमें ज्ञान के बारे में नया दृष्टिकोण दे सकते हैं।
बेस्टसेलिंग लेखक और पटकथा लेखक डेविड निकोल्स ‘यू आर हियर’ नामक सत्र का हिस्सा थे। निकोल्स की किताब ‘वन डे’ की लाखों प्रतियां बिकी हैं और जिस पर हाल ही में नेटफ्लिक्स ने एक सीरीज बनाई है। उन्होंने कहा, “जैसा कि अक्सर होता है जब आप 40 साल की उम्र तक पहुंचते हैं, आप खुद से सवाल पूछते हैं कि मैं यहां कैसे पहुंचा और ‘वन डे’ इसी बारे में है, कि आप भविष्य की इस अप्रत्याशितता को कैसे लेते हैं।” निकोल्स अपनी नई किताब ‘यू आर हियर’ में एकांत और अकेलापन के अंतर को समझाते हैं। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि एक काल्पनिक उपन्यास लिखने के लिए लेखक को किन बाधाओं से गुजरना पड़ता है और अपने पिछले छह उपन्यासों को लिखने का उनका अनुभाव कैसा रहा।
नोबेल पुरस्कार विजेता एस्तर डुफ्लो और चित्रकार शेयेन ओलिवियर ‘पुअर इकोनॉमिक्स फॉर द यंग’ सत्र में शामिल हुईं, जहां डुफ्लो ने बताया कि उनके प्रारंभिक अनुभवों ने उन्हें बच्चों के लिए लिखने के लिए प्रेरित किया। ओलिवियर ने बताया कि पुस्तक में पात्रों को विविध रंगों में चित्रित किया गया है, जो दुनिया भर की संस्कृतियों से प्रेरित हैं। डुफ्लो ने इस बात पर जोर दिया कि वह युवा पाठकों को गरीबी के विभिन्न दृष्टिकोणों को समझने में मदद करना चाहती हैं, जिससे वे महाद्वीपों में साझा अनुभवों को महसूस कर सकें।
‘डेविड हरे: ए लाइफ इन थिएटर एंड फिल्म’ सत्र में प्रसिद्ध नाटककार और पटकथा लेखक डेविड हरे ने बताया कि दर्शक किसी रचना के साथ कैसे जुड़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि यदि उनके नाटक को दर्शकों से उत्साहजनक प्रतिक्रिया नहीं मिलती, तो वे अभिनेताओं पर भरोसा करते हैं कि वे पात्रों को बेहतर ढंग से समझें और अपने प्रदर्शन को उनके अनुकूल बनाएं। हरे ने इस पर भी जोर दिया कि लेखन और प्रदर्शन केवल कला के लिए किए जाने चाहिए, जो कि फिल्म और टीवी के व्यावसायिक उत्पादन में कहीं खो सकता है।
एक अन्य सत्र में प्रसिद्ध लेखिका सुधा मूर्ति ने मेरु गोखले से चर्चा की। इस सत्र में मूर्ति ने बताया कि वह बच्चों के लिए लिखते समय खुद को एक बच्चे की तरह महसूस करती हैं। बच्चों का साहित्य किस प्रकार विरासत और संस्कृति को आगे बढ़ाने का माध्यम बन सकता है उन्होंने इस पर भी जोर दिया। मूर्ति ने अपनी किताबों ‘द गोपी डायरीज’ और ‘ग्रैंडपा’ज़ बैग ऑफ स्टोरीज़’ की प्रेरणा साझा की, जो उनकी सबसे चर्चित कृतियों में शामिल हैं। उन्होंने कहा, “मैं बच्चों की किताबें इसलिए अच्छी तरह लिख पाती हूं क्योंकि मेरे अंदर एक बच्चा मौजूद है। बच्चे की परिभाषा क्या है?… आप मासूम महसूस करते हैं। आप उपयोगी महसूस करते हैं। आप रोमांचकारी और अत्यधिक जिज्ञासु महसूस करते हैं। यही मानसिकता एक बच्चे की होती है।”
फेस्टिवल के सह-निदेशक और पुरस्कार विजेता इतिहासकार विलियम डैलरिम्पल भारतीय कला, विचारों और नवाचारों के माध्यम से, हमें प्राचीन दुनिया की यात्रा कराते हैं और बताते हैं कि भारतीय विचारों ने आधुनिक दुनिया को कैसे प्रभावित किया है। इस सत्र का परिचय लेखक और इतिहासकार अनिरुद्ध कनिसेट्टी ने दिया।
फेस्टिवल का दूसरा दिन कल क्लार्क्स आमेर होटल के विस्तृत परिसर में शुरू होने के लिए पूरी तरह तैयार है, जहां प्रेरक संवाद, उत्साहवर्धक विचार और परिवर्तनकारी पुस्तकों की एक और श्रृंखला होगी।
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के बारे में
‘दुनिया के सबसे बड़े साहित्यिक आयोजन’ के रूप में प्रसिद्ध, जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल विचारों का महासंगम है।
पिछले 17 वर्षों में इसने खुद को एक वैश्विक परिघटना के रूप में स्थापित किया है, अब तक लगभग 2000 वक्ता इस फेस्टिवल का हिस्सा बन चुके हैं। भारत तथा दुनिया भर के एक मिलियन से अधिक पुस्तक-प्रेमियों ने इस फेस्टिवल में भाग लिया है।
साल बीतते गये, फेस्टिवल बढ़ता गया, लेकिन इसके बुनियादी मूल्य अपनी जगह क़ायम हैं और वे मूल्य हैं- एक ऐसे लोकतांत्रिक मंच के ज़रिए साहित्य की सेवा करना जो सबकी पहुँच में हो। हर साल, यह फेस्टिवल दुनिया के महान लेखकों, विचारकों, मानवतावादियों, राजनेताओं, व्यापारिक नेताओं, खिलाड़ियों और मनोरंजन जगत से जुड़े सितारों को एक मंच पर लाता है ताकि वे सब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का जश्न मनाते हुए, विचारशील बहस और संवाद में शामिल हो सकें।
लेखक और फेस्टिवल निदेशक नमिता गोखले और विलियम डैलरिम्पल, फेस्टिवल निर्माता टीमवर्क आर्ट्स के साथ मिलकर ऐतिहासिक और व्यस्त राज्य की राजधानी जयपुर में आयोजित पांच दिवसीय कार्यक्रम में भाग लेने के लिए वक्ताओं को आमंत्रित करते हैं।
पिछले वक्ताओं में अगर एक ओर नोबेल पुरस्कार विजेता जे.एम. कोएट्जी, ओरहान पामुक और मुहम्मद यूनुस जैसे लिविंग लीजेंड्स शामिल थे तो वहीं दूसरी ओर मैन बुकर पुरस्कार विजेता बेन ओकरी, मार्गरेट एटवुड और पॉल बीटी जैसी हस्तियों भी थीं। साहित्य अकादमी विजेता गिरीश कर्नाड, गुलजार, जावेद अख्तर, एम.टी. वासुदेवन नायर के साथ-साथ दिवंगत महाश्वेता देवी और यू.आर. अनंतमूर्ति के साथ-साथ अमीश त्रिपाठी, चिममांडा नगोजी अदिची और विक्रम सेठ जैसे साहित्य-सितारे भी इस फेस्टिवल का हिस्सा रह चुके हैं। साहित्य के अलावा एक वार्षिक समारोह में अमर्त्य सेन, अमिताभ बच्चन, दिवंगत ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, परम पावन 14वें दलाई लामा, ओपरा विनफ्रे, स्टीफन फ्राई, थॉमस पिकेटी और अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई जैसे विभिन्न क्षेत्रों के दिग्गजों की मेजबानी का सौभाग्य भी इस फेस्टिवल के हिस्से आ चुका है।
वेबसाइट: www.jaipurliteraturefestival.org