अतिरिक्त मुख्य सचिव पीएचईड़ी डॉ. सुबोध अग्रवाल की समीक्षा बैठक, धीमी प्रगति पर अन्य फर्मों को डिबार करने की चेतावनी
जयपुर। जल जीवन मिशन के तहत पेयजल परियोजनाओं में लापरवाही बरतने वाली कॉन्ट्रेक्टर, फर्मों पर सख्ती शुरू हो गई है। तय समयावधि में प्रोजेक्ट पूरे नहीं करने वाली कॉन्ट्रेक्टर फर्मों से जोधपुर में संचालित दो प्रोजेक्ट वापस ले लिए गए हैं। साथ ही, कार्य में लापरवाही बरतने वाली अन्य फर्मों को कड़ी चेतावनी दी गई है। काम में सुधार नहीं हुआ तो धीमी प्रगति वाली फर्मों से न केवल वर्तमान में चल रहे प्रोजेक्ट वापस लिए जाएंगे बल्कि उन्हें आगामी परियोजनाओं की निविदाओं से भी डिबार किया जाएगा।
अतिरिक्त मुख्य सचिव जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी डॉ. सुबोध अग्रवाल (Additional Chief Secretary Public Health Engineering Dr. Subodh Agarwal) की अध्यक्षता में शुक्रवार को जल भवन में वीसी के माध्यम से हुई समीक्षा बैठक में यह जानकारी दी गई। राजस्थान वाटर सप्लाई एवं सीवरेज मैनेजमेंट बोर्ड (आरडब्ल्यूएसएसएमबी) की वित्तीय समिति ने यह निर्णय लिया है। वीसी में विभिन्न ओटीएमपी पर कार्यरत कॉन्ट्रेक्टर फर्मों के प्रतिनिधि शामिल हुए।
जेजेएम में क्षेत्रीय जल प्रदाय योजना पीलवा-सदरी-जम्भेश्वर के तहत जोधपुर के फलौदी एवं लोहावट ब्लॉक के 54 गांवों को 10,853 एफएचटीसी करने के लिए 56.40 करोड़ रूपए के प्रोजेक्ट के कार्यादेश 26 अक्टूबर, 2021 को मै. जियो मिलर एवं जयंती सुपर (जॉइंट वेंचर) को जारी हुए थे। 23 मई, 2023 तक इन फर्मों ने मात्र 30 फीसदी यानी 15.81 करोड़ रूपए के कार्य पूरे किए। मै. जियो मिलर एवं जयंती सुपर (जॉइंट वेंचर) को ही क्षेत्रीय जलप्रदाय योजना माणकलाव-दईजर-बनाड़ के अंतर्गत जोधपुर के मण्डोर, तिंवरी, केरू एवं लूणी ब्लॉक के 38 गांवों में 14,305 एफएचटीसी करने के लिए 55.60 करोड़ रूपए के प्रोजेक्ट के कार्यादेश 9 सितम्बर, 2021 को जारी किए गए थे। 25 मई, 2023 तक इस जॉइंट वेंचर ने केवल 13.66 करोड़ रूपए के कार्य यानि कुल कार्य का 27 फीसदी ही पूरा किया। दोनों प्रकरणों में अनुबंध रद्द कर रिस्क एंड कॉस्ट पर नई निविदा जारी कर कार्य संपादित कराने का निर्णय राजस्थान वाटर सप्लाई एवं सीवरेज मैनेजमेंट बोर्ड (आरडब्ल्यूएसएसएमबी) की वित्तीय समिति की 856 वीं बैठक में लिया गया।
सबसे कम प्रगति वाली 8 फर्मों के प्रतिनिधियों से काम समय पर नहीं करने का पूछा कारण
समीक्षा बैठक में एसीएस पीएचईडी ने लघु पेयजल परियोजनाओं के लक्ष्य के मुकाबले प्रगति की जानकारी ली। डॉ. अग्रवाल ने सबसे कम प्रगति वाली 8 फर्मों के प्रतिनिधियों से काम समय पर नहीं करने का कारण पूछा और विभिन्न चरण पूर्ण करने में फर्मों द्वारा लिए गए समय के बारे में जानकारी ली। उन्होंने स्पष्ट किया कि ओटीएमपी में देरी से लोगों को जल कनेक्शन नहीं मिल पा रहे हैं। एफएचटीसी करने में देरी होने के ठोस एवं उचित कारण होने पर फर्मों को और मौका दिया जाएगा लेकिन जिन फर्मों ने बिना किसी ठोस कारणों के लापरवाहीपूर्वक देरी की है उन फर्मों को नई परियोजनाओं की निविदाओं से डिबार किया जाएगा। उन्होंने संबंधित अभियंताओं को प्रोजेक्ट्स की प्रगति के बारे में विस्तृत जानकारी भिजवाने के निर्देश दिए।
जयपुर में 64.82 करोड़ रूपए लागत की 41 ओटीएमपी धीमी प्रगति पर नाराजगी
समीक्षा बैठक में जयपुर में 64.82 करोड़ रूपए लागत की 41 ओटीएमपी एवं जोधपुर में 15.54 करोड़ रूपए लागत की 6 लघु परियोजनाओं पर कार्यरत फर्म मै. देवेन्द्र कंस्ट्रक्शन कंपनी, हनुमानगढ़ में 270 करोड़ रूपए लागत की 17 ओटीएमपी पर कार्यरत मै. शिवभंडार कंस्ट्रक्शन कंपनी, जयपुर में 274 करोड़ रूपए लागत की 221 ओटीएमपी एवं अलवर में 140 करोड़ लागत की 103 योजनाओं पर कार्यरत मै. गणपति ट्यूबवैल कंपनी, करौली में 42.13 करोड़ रूपए लागत की 12 ओटीएमपी एवं भरतपुर में 25.40 करोड़ लागत की एक योजना पर कार्यरत मै. बिहानी कंस्ट्रक्शन प्रा. लि., धौलपुर में 52.13 करोड़ रूपए लागत की 45 योजनाओं पर कार्यरत मै. एल. एन. ए. इंफ्रा प्रोजेक्ट्स प्रा. लि., हनुमानगढ़ में 55 करोड़ रूपए लागत की 3 योजनाओं पर कार्यरत मै. माहेश्वरी कॉन्ट्रेक्टर, धौलपुर में 46.64 करोड़ रूपए लागत की 34 ओटीएमपी पर कार्यरत मै. बानको कन्स्ट्रक्शन प्रा. लि. (ग्वालियर) तथा अलवर में 7.59 करोड़ रूपए लागत की 5 योजनाओं पर कार्यरत मै. मालविका टेक्नीकल सर्विसेज द्वारा धीमी प्रगति प्राप्त करने पर अतिरिक्त मुख्य सचिव ने नाराजगी जताई एवं सभी काय सितम्बर, 2023 तक पूर्ण करने के निर्देष दिए। उन्होंने जयपुर में 140 नलकूप पर विद्युत कनेक्शन नहीं होने एवं 17 साइटों पर भू आवंटन में देरी होने पर एसीई (जयपुर रीजन ) को कार्य में गति लाने के निर्देश दिए।
इन फर्मों ने ओटीएमपी के तहत उच्च जलाशय बनाने एवं पाइप लाइन डालने जैसे कार्यों में देरी की है जिससे एफएचटीसी की गति धीमी है। कुछ फर्मों ने नलकूपों पर विद्युत कनेक्शन नहीं होने को भी देरी की वजह बताया। इस पर डॉ. अग्रवाल ने डिस्कॉम एमडी को पत्र लिखने एवं समन्वय स्थापित कर कनेक्शन जल्द करवाने को कहा। अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि विभाग की ओर से बजट की कोई कमी नहीं है एवं फर्मों को समय पर भुगतान के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि विभिन्न परियोजनाओं की धीमी प्रगति की जांच के आधार पर सबसे निचले पायदान पर रहने वाली फर्में आगे आने वाली परियोजनाओं की टेण्डर प्रक्रिया में एक से तीन साल तक के लिए भागीदारी नहीं कर पाएंगी। बैठक में मुख्य अभियंता (जल जीवन मिशन) आर. के. मीना, मुख्य अभियंता (तकनीकी) दलीप गौड, मुख्य अभियंता (विशेष परियोजना) दिनेश गोयल, मुख्य अभियंता (प्रशासन) राकेश लुहाड़िया, मुख्य अभियंता (जोधपुर) नीरज माथुर, अतिरिक्त मुख्य अभियंता (ग्रामीण) देवराज सोलंकी, चीफ केमिस्ट एच एस देवन्दा सहित प्रदेश भर के पीएचईडी रीजन एवं प्रोजेक्ट्स से जुड़े अतिरिक्त मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता, अधिशाषी अभियंता शामिल हुए।