जयपुर। कोरोना वायरस जैसी महामारी के काल में विश्व बाजार में खाने के तेल की कीमतों में भारी गिरावट के बाजवूद देश में खाद्य तेलों के आयात में भारी कमी (Large decrease in import of edible oils) आई है। मगर, खाद्य तेल (edible oils) उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि यह गिरावट क्षणिक है, देश को खाद्य तेल आयात पर निर्भरता कम करने के लिए स्थाई समाधान करना होगा, जो राष्ट्रीय तिलहन मिशन हो सकता है। खाद्य तेल (edible oils) उद्योग संगठन का कहना है कि राष्ट्रीय तिलहन मिशन लांच करने का यही सही वक्त है।
मांग के अनुरूप आपूर्ति बनी हुई
उद्योग संगठन सॉल्वेंट एक्सटैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के प्रेसीडेंट अतुल चतुर्वेदी ने कहा कि देश में खाद्य तेल (edible oils) का उत्पादन बढ़ाकर आत्मनिर्भर बनने की दिशा में मिशन मोड में काम करने की जरूरत है, इसलिए सरकार को राष्ट्रीय तिलहन मिशन लांच करने में विलंब नहीं करना चाहिए। कोरोना वायरस के संक्रमण की कड़ी को तोड़ने के मकसद से पूरे देश में जारी लॉकडाउन से घरेलू खाद्य तेल उद्योग पर असर के बारे में पूछे जाने पर चतुर्वेदी ने कहा कि घरेलू खाद्य तेल उद्योग पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा है, क्योंकि आवश्यक वस्तु होने के कारण खाद्य तेल उद्योग में लगातार काम चल रहा है और मांग के अनुरूप आपूर्ति बनी हुई है।
खाने के तेल की मांग में भारी कमी आई
उन्होंने कहा कि पहले भी घरेलू खाद्य तेल उद्योग की 50 फीसदी क्षमता का उपयोग होता था, जो आज भी हो रहा है। चतुर्वेदी ने कहा कि खाने के तेल की मांग में भारी कमी आई है। होटल, ढाबा, रेस्तरां आदि बंद होने के चलते खासतौर से पाम तेल की मांग घट गई है। उन्होंने बताया कि सोयाबीन उद्योग पर भी इसका असर पड़ा है। कोरोना के कहर से पोल्ट्री उद्योग प्रभावित है, इसलिए सोयामील की मांग कम हो गई है।
घरेलू एवं निर्यात मांग कमजोर
सोयाबीन प्रोसेर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक डॉ. डीएन पाठक ने कहा कि सोयामील की घरेलू एवं निर्यात मांग नहीं होने से सोयाबीन उद्योग पर असर पड़ा है। पाठक ने कहा कि सरकार को खाने के तेल के मामले में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए मिशन मोड में काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय तिलहन मिशन का मसौदा बीते दो साल से पड़ा हुआ है, जिस पर काम शुरू होना चाहिए। सरकार भी मानती है कि खाद्य तेल का घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए मिशन मोड में काम करने की जरूरत है, ताकि आत्मनिर्भरता आए।
राष्ट्रीय तिलहन मिशन लागू होने पर आयात में आयेगी कमी
पिछले दिनों केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि राष्ट्रीय तिलहन मिशन पर जब अमल होगा तो खाद्य तेल के आयात पर भारत की निर्भरता कम होगी। भारत हर साल तकरीबन 150 लाख टन खाद्य तेल का आयात करता है, जबकि घरेलू उत्पादन तकरीबन 70-80 लाख टन का ही है।
480 लाख टन करने का लक्ष्य
कृषि वैज्ञानिक और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तहत आने वाले सरसों अनुसंधान निदेशालय, भरतपुर के निदेशक डॉ. पीके राय ने बताया कि विश्वव्यापी कोरोना महामारी का संकट पैदा नहीं हुआ होता तो शायद राष्ट्रीय तिलहन मिशन पर काम शुरू हो गया होता, क्योंकि इस दिशा में तकरीबन तैयारी पूरी हो चुकी है। उन्होंने कहा कि तिलहनों का उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी विकास पर अनुसंधान निरंतर चल रहा है। सरकार ने अगले पांच साल में देश में तिलहनों का उत्पादन मौजूदा तकरीबन 300 लाख टन से बढ़ाकर 480 लाख टन करने का लक्ष्य रखा है। इस प्रकार पांच साल में तिलहनों का उत्पादन 180 लाख टन बढ़ाया जाएगा, जिसका खाका सरकार ने तैयार किया है।