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There is no logic in interest recovery on outstanding interest

बकाया ब्याज पर ब्याज वसूली में नजर नहीं आता कोई तर्क

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि उन्हें कर्ज भुगतान (loan payment) से राहत के दौरान बकाया ब्याज (outstanding interest) पर ब्याज वसूलने के पीछे उन्हें कोई तर्क नजर नहीं आ रहा है। हालांकि न्यायालय ने केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve bank of India) (आरबीआई) को इस मामले में उन्हें अपनी राय बनाने के लिए कहा। अब इस मामले पर अगली सुनवाई अगस्त के पहले सप्ताह में होगी।

आरबीआई ने उन्हें छह महीने तक कर्ज भुगतान टालने की सुविधा

कोविड-19 महामारी के बाद पैदा हुए प्रतिकूल हालात के बीच कर्जदाताओं को राहत देने के लिए आरबीआई ने उन्हें छह महीने तक कर्ज भुगतान (loan payment) टालने की सुविधा है। आरबीआई उस याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें कर्ज भुगतान (loan payment) से राहत के दौरान ब्याज वसूल जाने के प्रावधान को चुनौती दी गई है। याचिक पर सुनवाई के बाद न्यायालय ने आरबीआई और वित्त मंत्रालय को उनका रुख स्पष्ट करने के लिए कहा है।

ब्याज माफ पर यह कहा सु्प्रीम कोर्ट ने

शीर्ष न्यायालय ने इंडियन बैंक एसोसिएशन (आईबीए) से यह भी जानना चाहा कि क्या कर्ज भुगतान टलने के दौरान नए दिशानिर्देश लागू किए जा सकते हैं। न्यायाधीश अशोक भूषण की अध्यक्षता वाले पीठ ने कहा,’मुझे लगता है कि वित्त मंत्रालय और आरबीआई को इस मामले पर और सोच-विचार करने के लिए थोड़ा समय दिया जाना चाहिए।’

कर्ज भुगतान से राहत के दौरान ब्याज से छूट देना आसान नहीं

केंद्र का पक्ष रखने वाले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि बैंकों को जमाकर्ताओं को ब्याज देना पड़ता है, इसलिए कर्ज भुगतान से राहत के दौरान ब्याज से छूट देना आसान नहीं है। मेहता ने कहा, ‘देश में करीब 13.3 करोड़ जमाकर्ता हैं, जिन्हें उनकी बैंकों में जमा रकम पर ब्याज का भुगतान किया जाना है। अगर ऋण पर ब्याज माफ कर दिया जाता है तो इसका प्रतिकूल असर होगा।’

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