एक्शन सीन से ज्यादा कुछ नहीं इस फिल्म में, कहानी पूरी कमजोर है
टीना सुराणा. जयपुर. रेस 3 बनाने वाले रेमो डिसूजा को लेकर पहले ही चिंता की जा रही थी कि एबीसीडी तक तो ठीक है लेकिन क्या वे रेस जैसी बड़े बजट और सलमान खान की फिल्म को बना पाएंगे। अब फिल्म देखने के बाद लगता है कि ये चिंता बिल्कुल जायज थी। हालांकि रेस 3 के लिए रेमो अकेले ही जिम्मेदार नहीं हैं। शिराज अहमद ढंग की कहानी नहीं लिख पाए, एक्टर्स और एक्टिंग में छत्तीस का आंकड़ा रहा। रेस १ जो कि 2008 और रेस 2 जो कि 2013 में आई थी कि कहानियां भी मजबूत नहीं थी लेकिन अब्बास-मस्तान का प्रस्तुतिकरण, हिट म्युजिक और ग्लैमर के तड़के के कारण लोगों ने टाइम पास के लिए जरूर देखी लेकिन रेस 3 इस सीरिज की सबसे कमजोर मूवी साबित हुई है। न माल अच्छा है और न ही पैकेजिंग। फिल्म की शुरुआत में शमशेर सिंह यानि अनिल कपूर के परिवार का परिचय दिया जाता है। उनकी दो जुड़वा संतानें है संजना यानि डेजी शाह और सूरज शाकिब सलीम। सिकंदर जो कि सलमान खान उसका सौतेला बेटा है। यश यानि बॉबी देओल सिकंदर का बॉडी गार्ड है। जेसिका जो कि जैकलीन फर्नांडीस है वो सिकंदर की प्रेमिका है। इन सबका दुश्मन राणा फ्रेडी दारूवाला है। शमशेर का हथियार बनाने का अवैध कारखाना है। रेस सीरिज की फिल्मों की खासियत है कि जो जैसा दिखता है वो वैसा होता नहीं। शमशेर के हाथ भारत के कुछ मंत्रियों के फोटो लगते हैं जिनमें वे रंगरेलिया मना रहे हैं। रंगरेलिया मनाने के वीडियो एक हार्ड डिस्क में है जो एक बैंक लॉकर में रखी हुई है। शमशेर चाहता है कि वो हार्ड डिस्क सिकंदर उसके लिए चुराए ताकि वह मंत्रियों को ब्लैकमेल कर सके। इस ऊटपटांग कहानी हैं जो समय-समय पर परेशान करते रहते हैं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि जब मंत्रियों के फोटो ही हाथ लग गए हैं तो ही उन्हें ब्लैकमेल किया जा सकता है। हार्ड डिस्क चुराने की मेहनत ही क्यों जाए। इतनी सी बात अरबों की बात करने वालों के दिमाग में नहीं आती जबकि सभी को बेहद चालाक बताया गया है। इंटरवल के बाद सारा घटनाक्रम इसी बात को लेकर है और जब बुनियाद ही इतनी कमजोर है तो इस ड्रामेबाजी में बिलकुल मजा नहीं आता। सलमान खान जैसे स्टार को पाकर रेमो डिसूजा निश्चिंत हो गए कि अब कुछ करने की जरूरत नहीं है लेकिन अफसोस इस बात का है कि सलमान के स्टारडम का भी वे ठीक से उपयोग नही कर पाए। हर एक्शन सीन में सलमान की एंट्री ऐसे की गई है मानो यह सलमान का पहला एंट्री सीन हो। जहां तक प्लस पाइंट की बात है तो कुछ एक्शन सीन अच्छे लगते हैं। थ्री.डी में इन्हें देखने से मजा बढ़ जाता है। सिनेमाटोग्राफी शानदार हैं और फिल्म को भव्य लुक देती है। फिल्म के निर्माण में पैसा पानी की तरह बहाया गया है। बैकग्राउंड म्युजिक अच्छा है।