नई दिल्ली. फलों का राजा आम और आमों का बादशाह कहा जाने वाला हापुस मौसम की मार से बेहाल है। पिछले साल की तुलना में इस साल हापुस आम का उत्पादन करीब 40 फीसदी कम रहने की आशंका जताई जा रही है। हर दिन बदलते मौसम की वजह से आम पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। कोंकण क्षेत्र से हर दिन करीब 27000 पेटी आम वाशी मंडी भेजा जा रहा है। एक पेटी आम का भाव 6000 रुपये के आसपास चल रहा है। दक्षिण भारत से आने वाले आम की आवक भी कमजोर है। आम तौर पर मार्च महीने के अंत से वाशी मंडी में हापुस की आवक भरपूर मात्रा में होने लगती है। लेकिन इस साल आवक पिछले साल के मुकाबले कम है। इस बार दिसंबर, जनवरी और फरवरी महीने में कड़ाके की ठंड पडऩे से फसल पर थ्रिप्स कीड़ा लगा जिसके कारण इस साल उत्पादन प्रभावित हुआ है। नवंबर महीने में आम की पहली पेटी बाजार में आई इसके बाद जनवरी से आम की आवक शुरू हो गई। लेकिन पिछले साल की अपेक्षा आवक में कमी देखने को मिल रही थी। हालांकि मार्च में मौसम में अचानक बदलाव के कारण आवक में अचानक तेजी देखने को मिली। इसकारण हापुस आम के कारोबारियों के व्यापार का पूरा गणित बिगड़ गया। हापुस के प्रमुख गढ़-रायगड से अब भी पिछले साल की अपेक्षा आवक कमजोर बनी हुई है। पिछले साल मार्च के अंत तक कृषि उत्पाद बाजार समिति (एपीएमसी) में 50-60 हजार पेटी हापुस की आवक हुई। जबकि गुडी पडवा मुहूर्त पर कई बाग मालिक आम की बिक्री शुरू करते हैं। इस साल मुहूर्त बिक्री (6 अप्रैल को) पिछले साल की तुलना में कम रह सकती है। वाशी में अब तक 25000 से 28000 पेटी आम आवक हुई है। जनवरी महीने में उत्पादन की जो उम्मीद की गई थी उसमें कमी आने की आशंका जताई जा रही है क्योंकि थ्रिप्स और तुडतुडा रोग के असर से हापुस की फसल प्रभावित हुई है। अप्रैल के दूसरे सप्ताह में आवक बढऩे की उम्मीद है लेकिन इस साल पिछले साल की अपेक्षा आवक कम रहने वाली है। बाग मालिक प्रसन्न पेठे कहते हैं कि मौसम में अचानक बदलाव हो रहा है जिसका असर हापुस पर पड़ रहा है। तापमान बढऩे के कारण फल जल्दी तैयार हो जाएगा लेकिन लंबे समय तक रोकना मुश्किल होगा जिसका असर कीमतों पर पडऩा तय है। आम उत्पादन के दूसरे प्रमुख क्षेत्र रत्नागिरि में इस बार महज 30 फीसदी उत्पादन की आशंका जताई जा रही है। बाग मालिक बीजी शिरसाठ कहते हैं कि मौसम में बदलाव के कारण इस बार बहुत कम पेड़ों पर बौर आए हैं जिस कारण आम उत्पादन 30-32 फीसदी ही रहेगा। मार्च और अप्रैल की गरमी से आम तैयार होता है इसीलिए हर साल होली से आम की भरपूर आवक शुरू हो जाती थी लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। वह कहते हैं कि हैरानी इस बात की है कि एक दिन ठंड पड़ रही है तो दूसरे दिन गरमी पड़ रही है। मौसम के इस अटपटे बदलाव के कारण जो फसल है वह भी सही नहीं रहने वाली है।