शुक्रवार, नवंबर 22 2024 | 06:22:07 AM
Breaking News
Home / कृषि-जिंस / आरसीईपी समझौते से देश के दूध एवं अन्य किसानों को होगा घाटा-किसान संगठन

आरसीईपी समझौते से देश के दूध एवं अन्य किसानों को होगा घाटा-किसान संगठन

नई दिल्ली। देशभर के किसान संगठनों ने केंद्र सरकार से क्षेत्रीय व्यापार आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) समझौता नहीं करने की मांग करते हुए कहा कि इससे देश के करोड़ों किसानों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो जायेगा। देशभर में करीब 15 करोड़ से अधिक किसान दूध व्यवसाय से जुड़े हैं, अगर सरकार ने यह समझौता किया तो सबसे ज्यादा मार इन्हीं किसानों पर पड़ेगी। किसान संगठनों ने कहा कि अगर सरकार ने हमारी मांग नहीं मानी तो फिर इसके खिलाफ एक बड़ा जन आंदोलन किया जायेगा।

नई दिल्ली में बुधवार को आयोजित किसान रैली में भारतीय किसान यूनियन के वरिष्ठ नेता युद्धवीर सिंह ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार अन्य 16 समझौता करने वाले देशों जैसे कि चीन, न्यूजीलैंड, आस्ट्रेलिया और इस समझौते पर हस्ताक्षर करने को उत्सुक आसियान देशों के समक्ष घुटने ना टेके जोकि अपने-अपने देशों में बड़े कृषि व्यवसाइयों को लाभ पहुंचाना चाहते हैं। उन्होंने कहा आरसीईपी के विरोध में हमने वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री को पत्र लिखा है तथा सरकार से मांग की है कि देश के किसानों के हितों को देखते हुए इस समझौते पर भारत हस्ताक्षर नहीं करें।

समझौते को लागू किया गया तो 60 हजार करोड़ के राजस्व का होगा नुकसान

उन्होंने कहा कि आरसीईपी भारत के इस बड़े बाजार में ट्रेड करने वाले भागीदारों के मुनाफे में तो बढ़ोतरी करेगा पर यदि इस समझौते को पूरी तरह लागू किया गया तो देश को 60 हजार करोड़ के राजस्व का नुक़सान होगा। आरसीईपी 92 फीसदी व्यापारिक वस्तुओं पर शुल्क हटाने के लिए भारत को बाध्य करेगा। भारत 2018-19 में आसियान ब्लॉक, जिसके साथ भारत का मुफ्त व्यापार समझौता है, से सस्ते आयात को मंजूरी देकर 26 हजार करोड़ रुपये पहले ही खो चुका है।

देश का घरेलू डेयरी उद्योग होगा सबसे ज्यादा प्रभावित
भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि डेयरी हमारे मझौले और छोटे किसानों जिनमें से अधिकतर महिलाएं जुड़ी हुई हैं, को प्रतिदिन नगद धन मुहैया कराती है। भारत पहले से ही डेयरी में आत्मनिर्भर देश है। आरसीईपी के जरिए, विदेशी कम्पनियां अपने ज्यादा उत्पादों को हमारे यहां खपाने की कोशिश करेंगी। अत: हम उन चीजों का आयात क्यों करें जिनकी हमें जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि न्यूजीलैंड ने कहा है कि वह इसके केवल 5 फीसदी डेयरी उत्पादों का निर्यात भारत को करेगा, जबकि न्यूजीलैंड का पांच फीसदी हमारे कुल उत्पादन का एक तिहाई है। अत: बाकि देशों ने भी पांच फीसदी ही निर्यात किया तो, फिर भारत में होने वाले कुल आयात को अंदाजा लगाया जा सकता है।

Check Also

eeki growing footprint, plans to expand business abroad in Madhya Pradesh, Maharashtra and Tamil Nadu as well as Oman

ईकी के बढ़ते पदचिन्ह, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और तमिलनाडु के साथ ही विदेश में ओमान में व्यापार विस्तार की योजना

700 करोड़ रुपए के निवेश के साथ होगा विस्तार, यूएई, सिंगापुर और यूरोप में भी …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *