शुक्रवार, नवंबर 22 2024 | 07:42:54 AM
Breaking News
Home / स्वास्थ्य-शिक्षा / आर्कान्जेस्क सम्मेलन में आर्कटिक में माइक्रोप्लास्टिक की समस्या पर हुई चर्चा

आर्कान्जेस्क सम्मेलन में आर्कटिक में माइक्रोप्लास्टिक की समस्या पर हुई चर्चा

jaipur| आर्कान्जेस्कने आर्कटिक में कूड़ा-कचरा एवं माइक्रोप्लास्टिक पर एक सम्मेलन की मेजबानी की। 2021-2023 के दौरान आर्कटिक काउंसिल की रूस की चेयरमैनशिप के तहत आयोजित होने वाले प्रमुख कार्यक्रमों के तहत इस सम्मेलन का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम का आयोजन रॉसकांग्रेस फाउंडेशन की ओर से किया गया।

रूस के विदेश मंत्रालय के अंतर्गत आर्कटिक को-ऑपरेशन के अम्बैस्डर-एट-लार्ज और सीनियर आर्कटिक ऑफिशियल्स के चेयरमैन निकोलय कोरचुनोव ने कहा, “माइक्रोप्लास्टिक की समस्या पूरी दुनिया केमहासागरों के लिए महत्वपूर्ण है लेकिन आर्कटिक के लिहाज से इसका खास महत्व है। 2019 में आर्कटिक इंटरनेशनल साइंटिफिक एंड एजुकेशनल एक्सीडिशन के तहत आर्कटिक महासागर में माइक्रोप्लास्टिक्स को लेकर एक अध्ययन हुआ था। इस स्टडी के रिजल्ट में ये बातें सामने आईं कि माइक्रोप्लास्टिक्स बैरेंट्स सागर में भी हैं, जो आर्थिक औद्योगिक केंद्रों (इकोनॉमिक इंडस्ट्रियल सेंटर्स) से काफी दूर है।”

कोरचुनोव ने कहा कि यह समस्या उस इलाके में रहने वाले लोगों के लिए बहुत बड़ा खतरा पैदा करता है, खासकर नॉर्थ के मूल निवासियों के लिए। यहां ध्यान रखने वाली बात ये है कि नॉर्थ के मूल निवासियों का मुख्य व्यापार फिशिंग यानी मत्स्य पालन है।

उन्होंने कहा, “आर्कटिक क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन से संबंधित मुद्दे मौजूदा एजेंडा से गायब नहीं हुए हैं। रूस का विदेश मंत्रालय रूस के वैज्ञानिकों और उनके विदेशी सहयोगियों के बीच संवाद स्थापित एवं विकसित करने के लिए हरसंभव मदद करने के लिए तैयार है। इस मामले में केवल आर्कटिक काउंसिल के सदस्य देश ही शामिल नहीं हैं। हम क्षेत्र में पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए काउंसिल के पर्यवेक्षक देशों के साथ भी बातचीत के लिए तैयार हैं। इसके साथ-ही-साथ हम नॉन-आर्कटिक देशों के वैज्ञानिकों और एक्सपर्ट्स के साथ भी सहयोग विकसित कर रहे हैं क्योंकि आर्कटिक में पर्यावरण का मुद्दा एक तरह से वैश्विक है।”

फेडरेशन काउंसिल की कृषि एवं खाद्य नीति और पर्यावरण प्रबंधन की डिप्टी चेयरपर्सन येलेना ज्लेंको ने कहा कि केवल 2017 में ही विश्व ने 35 करोड़ टन प्लास्टिक प्रोड्यूस किया। उन्होंने कहा कि 2050 तक यह आंकड़ा एक अरब टन तक पहुंच सकता है। ज्लेंको ने कहा कि दुनिया के महासागरों का जलस्तर पांच लाख करोड़ से ज्यादा माइक्रोप्लास्टिक पार्टिकल्स की वजह से प्रदूषित हो गया है। एक अनुमान के मुताबिक, करीब आधे प्लास्टिक पानी से हल्के होते हैं और इस वजह से वे जल की सतह पर आ जाते हैं और पूरी दुनिया में फैल जाते हैं। ज्लेंको ने कहा कि समुद्री लहर कुछ इस प्रकास से आगे बढ़ते हैं जिससे आर्कटिक, आर्कटिक महासागर और बैरेंट्स सागर ऐसे क्षेत्र हो सकते हैं जहां प्लास्टिक आकर जमा हो जाए।

Check Also

Held in the spirit of ‘Work with Heart’, Maringo CIMS Hospital's World Heart Day Marathon promotes good heart health

‘दिल से काम लीजिए’ की भावना के साथ आयोजित, मैरिंगो सीआईएमएस हॉस्पिटल के वर्ल्ड हार्ट डे मैराथन ने दिल की अच्छी सेहत की मुहिम को प्रोत्साहन दिया

बड़ी संख्या में लोगों की मौजूदगी में आयोजित एमसीआईएमएस मैराथन में 2,000 से अधिक प्रतिभागी …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *