बात पंंचायतों के अजब गजब फैसलों की. वे फैसले, जिनसे लोग खौफ खाते हैं. कई बार इंसानियत शर्मसार होती है ऐसे दंड होते हैं इनके।
जालोर. धूप में खड़ा करके सजा देना, झुते—चप्पल सर पर रखवाकर पूरे गांव में चलाना, हुक्का पानी बंद करना, दंड स्वरूप लाखों रूपए की पेनल्टी लगाना, पसंद की शादी करले तो शारीरिक और आर्थिक दंड देना ऐसे कई नजारें जालोर जिले की जसन्तपुरा, भीनमाल, रानीवाड़ा तहसील में आज भी देखे जा सकते हैं। आजादी के 76 वर्ष बाद भी यहां के लोग आजादी को तरस रहे हैं क्योंकि यहां पर हुकुम सिर्फ पंचों का चलता है। ना माने तो कर दिए जाएंगे बेदखल और उपर से खेती—बाड़ी की जमीनें भी दण्डस्वरूप स्वाह हो जाएगी। इन तहसीलों के पंच पंचायत खोप का कहर इतना ज्यादा है कि इनकी बात नहीं मानने वाले सालों से अपने मूलगांव से दूर हो चुके हैं। इतना ही नहीं ये पंच निर्णायक बने हुए घूमते हैं। मंदिर और मंदिर के बाहर इनकी अदालतें लगती है। सजा शारीरिक तौर पर तो दी ही जाती है साथ ही आर्थिक रूप् से भी पूरी तरह से खोखला कर दिया जाता है। यहां की बेटियों को पढ़ने का अधिकार नहीं है, अपनी पंसद से शादी करने का अधिकार नहीं है और शादी तय होने के बाद कोई कमी दिखे तो शादी तोड़ने का भी अधिकार नहीं है यानि पंचों ने एक बार कह दिया तो बस कह दिया.. ऐसा सिस्टम है यहां पर। सुधा पटी के सरगना पंच देवा, वागा, भुरा, प्रभा, मोटा, गणेशा और वेला के इन पंचों के खिलाफ माननीय न्यायालय में भी मामला दर्ज है परंतु ये लोग अपनी ही अदालतें चलाकर लोगों से मोटी रकम वसूल कर रहे हैं।
नाबालिग लड़की और अधेड़ की शादी— पंचों के लिए शादी का मतलब सिर्फ पैसा इकट्टा करना ही है। यहां पर कई रिश्तें ऐसे हुए है जिनमें लड़की की उम्र 18 से कम थी और आदमी की उम्र 40 वर्ष से अधिक लेकिन पंचों का हुकुम था, नहीं मानते तो दंड तो मिलता ही साथ ही समाज से भी अलग कर दिया जाता। इन्हीं गांवों से एक लड़की ने शादी के बाद खुद के खिलाफ हुए अन्याय की आवाज उठाई थी जिसे नेशनल मीडिया ने भी पब्लिश किया पंरतु बावजूद भी पंचों में खोफ पैदा नहीं हुआ।
11 साल से समाज से किया बाहर, हुक्का पानी भी किया था बंद— इन पंचों ने एक महिला वगतू देवी के परिवार को ना केवल गांव से बाहर किया बल्कि पिछले 11 वर्षों से वगतू देवी के परिवार का आस—पास के सभी गांव और तहसील से भी बेदखल करवा दिया। वगतू देवी का कसूर इतना सा था कि इन्होंने पंचों के सामने चुनाव लड़ा था और ये बात पंचों को नागवार लगी और पंचों ने दंड स्वरूप वगतू देवी और उनके परिवार से 42 लाख रूप्ए की वसूली कर ली। आलड़ी गांव की वगतू देवी का कहना है कि कानून भी इन पंचों का कुछ नहीं बिगाड़ पाया क्योंकि जो अवैध वसूली ये पंच करते हैं उनका एक हिस्सा रसूखदारों के पास भी जाता है। पंचों की वजह से वो अपने ही सगे रिश्तेदारों से भी दूर हो गई। पिछले कई वर्षों से अपने गांव का चहरा भी नहीं देख पाई। वगतू देवी का एक ही सपना है कि वो अपने गांव दुबारा जा सके और बच्चों के साथ सुख से रह सके।
प्रशासन अब जागा— ये मामला जब एनजीओ वी द पिपल हम लोग की फाउंडर मंजू सुराणा के पास आया तो उन्होंने पीड़ित परिवारों से बातचीत करके सारा मामला प्रशासन के समक्ष पेश किया। पीड़ित परिवारों का कहना है कि पंचों की बात नहीं माने तो सबसे पहला दंड होता है गांव से बाहर। अगर वो स्वीकार नहीं तो जीवन की सारी कमाई पंचों को सौंपनी पडती है। इस बारे में वी द पिपिल की फाउंडर मंजू सुराणा ने बताया कि पंचों का आतंक गांवों में इस कदर है कि गांव से बेदखल हुए लोग अपनी खेती बाडी छोड़ कर सालों से गांवों से दूर है। दंडस्वरूप पंच सबसे पहले लाखों रूपए लेते हैं और उसके बाद भी सुकुन से रहने नहीं देते। ये पंच छोटी लड़कियों की शादी अधेड से करवा देते हैं। अगर कोई लड़की मना करती है तो बस उसकी खेर नहीं। पसंद की शादी तो दूर की बात है इन पंचों के गांवों की लड़कियां किसी रिश्ते को मना नहीं कर सकती क्योंकि पंचों का हुकुम चलता है। अब तक पंचों ने करोड़ों रूपए लोगों से दंड स्वरूप ले लिए है जिसको वापिस लेने के लिए कुछेक परिवारों ने कोर्ट का सहारा लिया हुआ है।