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Telecom companies angry over security rules

सुरक्षा नियमों पर दूरसंचार कंपनियां नाराज

नई दिल्ली। प्रस्तावित नए सुरक्षा प्रमाणन (संचार सुरक्षा प्रमाणन या कॉमसेक) के लिए दूरसंचार विभाग (Telecom Deptt) (डीओटी) की ओर से दूरसंचार उपकरणों और मोबाइल फोन डिवाइसों (Mobile phone devices) के अनिवार्य परीक्षण का एक समानांतर ढांचा बनाने पर जोर देने से दूरसंचार उद्योग परेशान है। दूरसंचार ऑपरेटरों के संगठन सेलुलर ऑपरेटर एसोसएिशन आफ इंडिया (Cellular Operator Association of India) (सीओएआई) ने दूरसंचार विभाग के सचिव को भेजे गए पत्र में कहा है कि कुछ खास दूरसंचार उपकरणों व मोबाइल डिवाइस (Mobile phone devices) के कई परीक्षण से न सिर्फ परीक्षणों का दोहराव होगा बल्कि ओईएम की लागत बढ़ेगी और कारोबार सुगमता की कवायदों पर नकारात्मक असर पड़ेगा।

बीआईएस से मंजूरी लेना भी शामिल

उदाहरण के लिए इस समय टेलीकॉम उपकरण (Telecom equipment) और मोबाइल डिवाइस (Mobile devices) के लिए डीओटी की डब्ल्यूपीसी शाखा से प्रमाणपत्र लेना होता है, उसके बाद डीओटी की टेलीकम्युनिकेशन इंजीनिरिंग सेंटर (सीईसी) शाखा अनिवार्य परीक्षण और टेलीकॉम उपकरण प्रमाण पत्रों की जांच करानी होती है। अब इसमें एक और परत कॉमसेक की जोड़ दी गई है, जिसका प्रमाणन डीओटी की एक और शाखा नैशनल सेंटर फॉर कम्युनिकेशन सिक्योरिटी (एनसीसीएस) को करना है। मोबाइल उपकरणों के लिए एक चौथा प्रमाणन बीआईएस से मंजूरी लेना भी शामिल है।

2018 में दूरसंचार उपकरमों का प्रमाणन और परीक्षण अनिवार्य

डीओटी (DOT) ने 2018 में दूरसंचार उपकरमों (Telecom equipment) का प्रमाणन और परीक्षण अनिवार्य किया था। इसमें सुरक्षा के लिए परीक्षण, तकनीकी मानक और सुरक्षा संबंधी मसले शामिल हैं, और परीक्षण टीईसी द्वारा किया जाना है।  इसके लिए ढांचा बनाने को लेकर हिस्सेदारों से चर्चा हो रही थी, जिसमें सरकार द्वारा नियुक्त थर्ड पार्टी लैब तय किया जाना शामिल है। बहरहाल डीओटी ने हाल में एक नया प्रमाणन कॉमसेक पेश किया, जो सुरक्षा के हिसाब से एनसीसीएस द्वारा ही किया जाएगा।

नए मोबाइल फोन पेश करने में होगी देरी

मोबाइल उपकरण कारोबारियों (Mobile device merchants) का कहना है कि इस प्रक्रिया से नए मोबाइल फोन (Mobile phone devices) पेश करने में देरी होगी क्योंकि नई सुरक्षा मंजूरी में वक्त लगेगा और नए मॉडल अव्यावहारिक हो जाएंगे (क्योंकि उनकी शेल्फ लाइफ सीमित है)। दिशानिदेर्शों में उल्लेख है कि पंजीकरण से प्रमाणन तक मेंं 16 सप्ताह लगेंगे। साथ ही अगर मोबाइल उपकरण एक ही ओएस डिवाइस पर चल रहे हों, लेकिन उसमें फीचर जोड़ दिए गए हों तो उनके अलग प्रमाणन की जरूरत होगी। ऐसा तब भी कराना होगाा, अगर ओएस ऑर्किटेक्चर पहले जैसा ही बना रहे।

मोबाइल फोन विनिर्माण में निवेश होंगे 11000 करोड़ रुपये

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