मुंबई। टाटा समूह (Tata group) ने मिस्त्री परिवार (Mistry family) से विवाद सुलझाने के लिए मिला प्रस्ताव ठुकरा दिया है। मिस्त्री परिवार (Mistry family) ने टाटा संस (Tata sons) की परिसंपत्तियां बांटने की पेशकश की थी, जिसमें सूचीबद्घ कंपनियों में टाटा संस (Tata sons) की हिस्सेदारी भी शामिल थी। उच्चतम न्यायालय में सुनवाई के दौरान आज वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे (Senior Advocate Harish Salve) ने टाटा समूह का पक्ष रखते हुए यह प्रस्ताव नकार दिया। कुछ दिन पहले ही टाटा समूह (Tata group) ने टाटा संस में मिस्त्री की हिस्सेदारी का आकलन करीब 80,000 करोड़ रुपये किया था।
साइरस मिस्त्री को Tata group के चेयरमैन पद से हटाने के बाद विवाद
शीर्ष न्यायालय में इस समय दोनों पक्षों के बीच साइरस मिस्त्री को टाटा समूह (Tata group) के चेयरमैन पद से हटाने के बाद पैदा हुए विवाद पर सुनवाई हो रही है। साल्वे ने न्यायालय में कहा कि मिस्त्री परिवार (Mistry family) टाटा ब्रांड में 18.4 प्रतिशत हिस्सेदारी सहित परिसंपत्तियां विभाजित करने की मांग कर रहा है। साल्वे (Senior Advocate Harish Salve) ने कहा, ‘मिस्त्री (Mistry family) ने टाटा ब्रांड को नुकसान पहुंचाया है और इसके बाद उन्हें किसी तरह पुरस्कार नहीं दिया जा सकता है। न्यायालय टाटा को केवल उचित बाजार मूल्य पर हिस्सेदारी खरीदने के लिए कह सकता है।’
मिस्त्री परिवार ने Tata Sons में हिस्सेदारी 1.75 लाख करोड़ रुपये लगाई
अदालत में सुनवाई शुरू होने से कुछ दिन पहले ही मिस्त्री परिवार (Mistry family) ने टाटा की सूचीबद्ध कंपनियों-टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस (टीसीएस), टाटा मोटर्स और टाटा स्टील- में हिस्सेदारी के बदले टाटा संस में अपनी हिस्सेदारी बेचने की पेशकश की थी। मिस्त्री परिवार ने टाटा संस में अपनी हिस्सेदारी की कीमत 1.75 लाख करोड़ रुपये लगाई थी।
परिसंपत्तियां विभाजित करने की Mistry family की मांग
उस समय टाटा समूह ने मिस्त्री परिवार (Mistry family) की पेशकश का कोई जवाब नहीं दिया था और न्यायालय में जवाब देने के लिए कहा था। साल्वे (Senior Advocate Harish Salve) ने कहा कि परिसंपत्तियां विभाजित करने की मिस्त्री परिवार की मांग टाटा संस को बंद करने के बराबर है। उन्होंने कहा, ‘इस विवाद का एकमात्र समाधान यह है कि किसी एक पक्ष को पीछे हटना होगा और अल्पांश शेयरधारक से ही झुकने को कहा जा सकता है। केवल मिस्त्री परिवार को उनकी हिस्सेदारी बेचने के लिए कहा जा सकता है।’
एनसीएलएटी ने साइरस मिस्त्री को चेयरमैन पद पर बहाल का दिया था आदेश
शीर्ष न्यायालय राष्ट्रीय कंपनी विधि अपील न्यायाधिकरण (National Company Law Appellate Tribunal) (एनसीएलएटी) के एक आदेश के खिलाफ टाटा समूह की याचिका पर सुनवाई कर रहा है। पिछले वर्ष दिसंबर में एनसीएलएटी ने अपने आदेश में साइरस मिस्त्री (Cyrus Mistry) को टाटा समूह (Tata group) के चेयरमैन पद पर बहाल करने का आदेश दिया था और चेयरमैन पद पर एन चंद्रशेखरन की नियुक्ति को गैर कानूनी करार दिया था। इससे पहले राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने फैसला टाटा समूह (Tata group) के पक्ष में दिया था। अब मामला उच्चतम न्यायालय में है।
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