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Tata Institute of Social Sciences ties up with La Trobe-led Smart Cities Research and Innovation Powerhouse

टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज का ला ट्रोब के मार्गदर्शन में कार्यरत स्मार्ट सिटीज रिसर्च एंड इनोवेशन पावरहाउस से सहयोग करार

Jaipur. ला ट्रोब यूनिवर्सिटी (La Trobe University) और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (Tata Institute of Social Sciences) (टीआईएसएस) के बीच एक नई साझेदारी के तहत टीआईएसएस दो विशिष्ट भारतीय विश्वविद्यालयों से जुड़ कर स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट पर अनुसंधान को आगे बढ़ाएगा। यह अभूतपूर्व कार्य एशियन स्मार्ट सिटीज रिसर्च इनोवेशन नेटवर्क (एएससीआरआईएन) के तहत किया जाएगा।

एएससीआरआईएन का गठन 2019 में ला ट्रोब यूनिवर्सिटी (La Trobe University) ने किया। इसका मकसद शोधकर्ताओं, पूरी दुनिया के उद्योग भागीदारों, सरकारी साझेदारों और स्टार्ट-अप्स का एक नेटवर्क तैयार कर दुनिया की वास्तविक समस्याओं के समाधान के लिए अनुसंधान करना है। इसका लक्ष्य छोटे-बड़े शहरों के सस्टेनेबल विकास, इनमें निवास की सुविधा और क्षमता बढ़ाना है। टीआईएसएस के इस प्रयास में भारत के दो अन्य प्रतिष्ठित शैक्षणिक साझेदार हैं – भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर (आईआईटी-कानपुर) और बिड़ला प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान, पिलानी (बीआईटीएस पिलानी)।

एएससीआरआईएन वैश्विक महत्व के मुद्दों पर असरदार अनुसंधान और उद्योग भागीदारों के साथ सहयोग करार करता है। ये मुद्दे हैं: इन्फ्रास्ट्रक्चर और टेक्नोलाॅजी; आर्थिक विकास; यातायात और परिवहन; स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती; शिक्षा; शहरी नियोजन; शासन और भागीदारी; सुरक्षा और संरक्षण; संस्कृति और विरासत; और ऊर्जा, पानी और कचरा निपटान। ला ट्रोब युनिवर्सिटी के वाइस चांस्लर प्रोफेसर जॉन डेवर एओ इस सप्ताह दिल्ली दौरे पर हैं। वे उद्योग जगत और सरकारी भागीदारों, और प्रतिभागी विश्वविद्यालयों के साथ विचार-विमर्श करेंगे। प्रोफेसर डेवर ने कहा कि वैश्विक मुद्दों को मिल कर हल करने के लिए टीआईएसएस भारत में ला ट्रोब और अन्य उच्च स्तरीय संगठनों के साथ साझेदारी करेगा जो बहुत खुशी की बात है।

टीआईएसएस इंजीनियरिंग और टेक्नोलाॅजी से भिन्न अन्य विषयों के अध्ययन

प्रोफेसर डेवर ने कहा, ‘‘टीआईएसएस इंजीनियरिंग और टेक्नोलाॅजी से भिन्न अन्य विषयों के अध्ययन के लिए भारत के सर्वोच्च संस्थानों में से एक है। इसलिए यह एएससीआरआईएन का पसंदीदा भागीदार है। यह भारत में हमारे दो अन्य शैक्षणिक भागीदारों की दूरदृष्टि और विशेषज्ञता का सही मायनों में पूरक है।’’ ‘‘टीआईएसएस भी ला ट्रोब की तरह असरदार अनुसंधान के साथ-साथ सामाजिक न्याय और सब के विकास को लेकर प्रतिबद्ध रहा है और हम एक साथ काम करते हुए पूरी दुनिया के समुदायों की जिन्दगी बदलने की उम्मीद रखते हैं।’’ 2019 में एएससीआरआईएन के लॉन्च के समय से ही इसे भारत सरकार के आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव एवं मिशन निदेशक (स्मार्ट सिटीज मिशन) कुणाल कुमार का सहयोग रहा है।

देश के 100 शहरों में बड़ा बदलाव लाना

‘‘एएससीआरआईएन शहरीकरण की कुछ सबसे कठिन चुनौतियों को दूर करने के लिए सर्वश्रेष्ठ शोधकर्ताओं, उद्योग जगत और सरकार को एकजुट करने की अनुकरणीय पहल है,’’ कुमार ने कहा। ‘‘भारत सरकार का स्मार्ट सिटी मिशन इस तरह के सबसे बड़े अभियानों में से एक है जिसका लक्ष्य पूरे देश के 100 शहरों में बड़ा बदलाव लाना है। परंतु हम अकेले यह काम पूरा नहीं कर सकते हैं। कुमार ने कहा, ‘‘तेजी से शहरीकरण के इस दौर में एएससीआरआईएन जैसे प्रयास से अभिनव समाधान मिलेंगे जिनसे समुदाय और उद्योग जगत की समस्याएं दूर होंगी।’’ टीआईएसएस की निदेशिका और वाइस-चांस्लर प्रोफेसर शालिनी भरत ने कहा कि टीआईएसएस ऐसी साझेदारियां करने को प्रतिबद्ध है जो विभिन्न छात्रों के शैक्षिक लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करंेगी और सामाजिक अनुसंधान और विकास में सहयोगी होंगी। ऐसे प्रयासों का लाभ पूरी दुनिया के लोगों को होगा।

भारतीय विश्वविद्यालयों और अनुसंधान केंद्रों के साथ रणनीतिक महत्वपूर्ण की साझेदारी

प्रोफेसर भरत ने कहा, ‘‘ला ट्रोब से साझेदारी से शिक्षा के नए अंतर्राष्ट्रीय अवसर सामने आएंगे। साथ ही, वैश्विक अनुसंधान के लिए हम दोनों संगठनों के संबंध मजबूत होंगे और फिर उद्योग जगत से सहयोग भी मजबूत होगा।’’ प्रोफेसर डेवर ने पिछले महीने ऑस्ट्रेलिया के शिक्षा मंत्री जेसन क्लेयर एमपी से नई दिल्ली में मुलाकात कर भारतीय विश्वविद्यालयों और अनुसंधान केंद्रों के साथ रणनीतिक महत्वपूर्ण की साझेदारी को पुख्ता किया। भारत के कई प्रमुख अनुसंधान, शैक्षिक और सांस्कृतिक संस्थानों के साथ लंबे समय से ला ट्रोब का प्रगाढ़ संबंध और गौरवपूर्ण इतिहास रहा है। बैंगलोर बायोइनोवेशन सेंटर, लेडी श्री राम कॉलेज और जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल ऐसे कुछ खास नाम हैं।

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