Jaipur. वित्त पर स्थायी समिति ने आज संसद में अपनी रिपोर्ट पेश की और प्रस्तावित प्रतिस्पर्धा संशोधन विधेयक, 2022 (Competition Amendment Bill 2022) में कई तरह के स्पष्टीकरण और बदलाव की सिफारिश की। जयंत सिन्हा की अध्यक्षता वाली स्थायी समिति (Standing Committee headed by Jayant Sinha) ने प्रस्तावित विधेयक में सौदे के मूल्य की गणना करने के तरीके निर्दिष्ट करने और सांठगांठ को निपटान प्रक्रिया में शामिल होने की अनुमति देने का सुझाव दिया है। समिति ने प्रतिस्पर्धा-रोधी व्यवहार का पता लगाने से पहले भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (Competition Commission of India) (सीसीआई) और महानिदेशक के लिए प्रभाव आधारित विश्लेषण शुरू करने का भी सुझाव दिया है।
सौदे के मूल्य की समीक्षा दो साल में एक बार की जगह हर साल हो
समिति ने कहा कि अगर सौदे की जांच का मामला आता है तो सौदे के मूल्य की समीक्षा दो साल में एक बार की जगह हर साल होनी चाहिए। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि विधेयक में इसका उल्लेख नहीं किया गया है कि सौदे के मूल्य की गणना कैसे की जाए और प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष या टाले गए प्रतिफल का क्या अर्थ है। हितधारकों की राय पर सहमति जताते हुए समिति ने कहा है, ‘ये शर्तें ऐसे लेनदेन को विलय नियंत्रण प्रक्रिया में ला सकती हैं, जिनसे प्रतिस्पर्धा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना ही नहीं है।’
कंपनी के विलय-अधिग्रहण की सूचना सीसीआई को देनी
कंपनी मामलों के मंत्रालय का प्रस्ताव है कि 2,000 करोड़ रुपये से अधिक के सौदे तथा भारत में संबंधित कंपनी का उल्लेखनीय परिचालन होने पर उस कंपनी के विलय-अधिग्रहण की सूचना सीसीआई को देनी होगी। इसका मकसद ऐसे विलय-अधिग्रहण का पता लगाने का था, जहां संपत्ति या सालाना कारोबार निर्धारित सीमा से कम हो सकता है मगर डिजिटल और नए युग के बाजारों के हिसाब से डेटा बहुत ज्यादा हो। हितधारकों की एक प्रमुख चिंता थी – सौदे के मूल्य में क्या शामिल होगा? …उसमें केवल भारतीय परिचालन होगा या पूरा वैश्विक लेनदेन होगा? सिरिल अमरचंद मंगलदास में पार्टनर (प्रमुख – प्रतिस्पर्धा कानून) अवंतिका कक्कड़ ने कहा, ‘कंपनी मामलों के मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि यह केवल डिजिटल क्षेत्र के लिए है और छोटे लक्ष्य परीक्षण की स्थिति में भी लागू होगा।’