मुंबई . जोमैटो की शानदार सूचीबद्घता और आईपीओ की कतार में कई स्टार्टअप यूनिकॉर्न द्वारा करीब 26,000 करोड़ रुपये जुटाने की योजना के बाद भी ऐसी कंपनियां भारतीय स्टार्टअप क्षेत्र के भागीदारों एवं बाजार के निवेशकों को अपने कारोबारी मॉडल को समझाने में सक्षम नहीं हो पा रही हैं। कई का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय शेयर बाजार उन्हें बेहतर मूल्यांकन दिला सकता है।
मार्च 2020 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सीधे विदेश में सूचीबद्घ कराने (भारत में सूचीबद्घ कराने की जरूरत नहीं) को मंजूरी दी थी। लेकिन इस बारे में विस्तृत दिशानिर्देश अभी तक जारी नहीं हुआ है क्योंकि ऐसे लेनदेन पर पूंजी लाभ कर लगाने को लेकर स्पष्टïता नहीं आ पाई है। इसकी वजह से कुछ उद्यमियों और निवेशकों ने हाल ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विदेश में सीधे सूचीबद्घ कराने की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए पत्र लिखा है।
उद्योग और निवेशक समुदाय के सूत्रों का मानना है कि जोमैटो की सूचीबद्घता को लेकर भारतीय बाजार में अच्छी प्रतिक्रिया देखी गई लेकिन विदेशी बाजार खास तौर पर अमेरिका में बेहतर मूल्यांकन मिल सकता है।
यूनिकॉर्न इंडिया वेंचर्स के संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी भास्करमजूमदार का मानना है कि अमेरिकी बाजार में सूचीबद्घ कराने की एक वजह यह है कि वहां कुछ स्टार्टअप को अच्छा मूल्यांकन मिला है जबकि वे घाटे वाली फर्में थीं। अमेरिकी बाजार में दूसरे बाजारों की तुलना में ऐसे कारोबार की बेहतर समझ है। डिलिवरो और डोरडैश का उदाहरण देते हुए मजूमदार ने कहा कि दोनों कंपनियों का कारोबारी मॉडल लगभग समान है लेकिन डिलिवरो की आर्थिक स्थिति बेहतर है लेकिन सूचीबद्घता के प्रदर्शन में डोरडैश उससे कहीं आगे निकल गई।
डिलिवरो को लंदन स्टॉक एक्सचेंज में इस साल सूचीबद्घ कराया गया था और पहले ही इसका शेयर करीब 30 फीसदी लुढ़क गया जिससे इसके बाजार पंूजीकरण में 2 अरब पाउंड से ज्यादा की कमी आई। दूसरी ओर अमेरिकी फेड डिलिवरी कंपनी डोरडैश का शेयर आईपीओ मूल्य से करीब 80 फीसदी ऊपर पहुंच गया।