नई दिल्ली। 2021-2023 में आर्कटिक परिषद की रूस की अध्यक्षता के तहत रोसकांग्रेस फाउंडेशन द्वारा आयोजित सेंट पीटर्सबर्ग इंटरनेशनल इकोनॉमिक फोरम में “उत्तरी समुद्री मार्ग: परिणाम और योजनाएं” सत्र में भाग लेने वालों ने उत्तरी समुद्री मार्ग का सतत विकास के साथ-साथ इसकी भविष्य की संभावनाएं और बर्फ तोड़ने वाले जहाजों के मामले में रूसी कंपनियों की जरूरतें जैसे विषयों पर चर्चाएं की।
स्टेट एटॉमिक एनर्जी कॉरपोरेशन रोसाटॉम में आर्कटिक के विकास के लिए विशेष प्रतिनिधि व्लादिमीर पानोव ने कहा, “उत्तरी समुद्री मार्ग, सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण, एशियाई बाजारों के लिए एक रास्ता है, और ग्लोबल लॉजिस्टिक्स का एक हिस्सा है। यह मरमंस्क से शंघाई तक 7000 मील और जिब्राल्टर व स्वेज नहर के माध्यम से शंघाई से मरमंस्क तक 12,500 मील की दूरी पर है। हमारे सहयोगी उत्तरी समुद्री मार्ग की सुरक्षा, प्रदर्शन और स्थिरता सुनिश्चित करने के महत्व के बारे में तेजी से जागरूक हो रहे हैं। यह वैश्विक स्तर पर माल की ढुलाई और भविष्य के परिवहन गलियारे के लिए एक नया मार्ग है। लेकिन इसकी कमियां भी हैं – बर्फ और इस रास्ते को तय करने में लगने वाला समय। हालांकि हमने यह सीख लिया है कि कैसे सुरक्षित और कुशलता के साथ बर्फ की चुनौती से पार पाना है”।
व्लादिमीर पानोव के अनुसार, विशेषज्ञ सभी शिपिंग कंपनियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं और वे बर्फ की स्थिति के पूर्वानुमान में सुधार करने में कामयाब रहे हैं – सभी शिपमेंट के लिए आइसब्रेकिंग सपोर्ट के साथ सावधानीपूर्वक योजना बनाई जाती है और उन्हें पूरा किया जाता है। हालांकि, उन्होंने जोर देकर कहा कि अभी सबसे महत्वपूर्ण काम आवश्यक कैडर प्रदान करना और नए आइसब्रेकर को परिचालन में शामिल करना है।
रशियन फेडरेशन फोर दी डेवलपमेंट ऑफ दी फार ईस्ट एंड दी आर्कटिक के फर्स्ट डिप्टी मिनिस्टर गडजिमागोमेड गुसेनोव ने कहा कि ग्लोबल लॉजिस्टिक्स के संगठन में बदलाव हो रहे हैं और पारंपरिक रास्तों से एशिया और यूरोप के बीच सभी माल की ढुलाई कर पाना असंभव होगा। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि रूस के ज्वलनशील गैस भंडार का 75% आर्कटिक में है, और उत्तरी समुद्री मार्ग परिवहन की ऐसी नस है, जो रूसी सुदूर उत्तर के क्षेत्रों से माल का निर्यात करने की सुविधा देगा।
गडजिमागोमेड गुसेनोव ने कहा, “हमें आर्कटिक तट सहित आवश्यक बुनियादी ढांचे को बनाने और विकसित करने की आवश्यकता है, जो साइबेरिया और रूसी सुदूर पूर्व के क्षेत्रों के विकास के साथ-साथ हमें उत्तरी समुद्री मार्ग पर शिपिंग लेन का उपयोग करने की सुविधा देगा। हम यहां अंतर्देशीय जलमार्ग, बंदरगाह के बुनियादी ढांचे और बेड़े की बात कर रहे हैं। हमने बड़ी संख्या में जहाजों के लिए पहले ही ऑर्डर दे दिया है, जिसका उद्योग पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। और इस तरह से हमारा काम जारी है।”
सासाकावा पीस फाउंडेशन के ओशन पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट के एक रिसर्च फेलो सकिको हटाया ने स्वेज नहर में 2021 की कंटेनर जहाज दुर्घटना के बाद उत्तरी समुद्री मार्ग को विकसित करने के महत्व पर जोर दिया। उस दुर्घटना ने स्वेज नहर वाले रास्ते को अस्थायी रूप से इस्तेमाल के लिए मुश्किल बना दिया था।
सकिको हटाया ने कहा, “संभवतः उत्तरी सागर मार्ग का उपयोग पूरे साल भर करना संभव होगा, इसके लिए प्रौद्योगिकी उपलब्ध है। यही कारण है कि अधिक से अधिक देश इस रास्ते को अपने माल की ढुलाई के लिए एक विकल्प के रूप में देख रहे हैं। जापान में होक्काइडो एक यातायात टर्मिनल के रूप में काम कर सकता है। उत्तरी समुद्री मार्ग विविधीकरण के अवसर का प्रतिनिधित्व करता है। इस रास्ते के एक आर्थिक मूल्यांकन की आवश्यकता है, और आगे के शोध तथा अंतरराष्ट्रीय समुदाय से नए नियामक उपायों की जरूरत है, ताकि इस रास्ते को और अधिक मजबूती से संचालित किया जा सके।”
चर्चा में भाग लेने वाले अन्य प्रतिभागियों में नॉरिल्स्क निकेल में संघीय व क्षेत्रीय कार्यक्रमों के उपाध्यक्ष एंड्री ग्रेचेव, नोवाटेक प्रबंधन बोर्ड के उपाध्यक्ष एडुआर्ड गुडकोव, आर्कटिक व अंटार्कटिक अनुसंधान संस्थान के निदेशक अलेक्जेंडर मकारोव, सोवकोमफ्लोट के प्रबंधन बोर्ड के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी इगोर टोंकोविदोव और जीडीके बैमस्काया के जनरल डायरेक्टर जॉर्जी फोटिन शामिल रहे।
“उत्तरी समुद्री मार्ग: परिणाम और योजनाएं” सत्र मिनिस्ट्री फोर दी डेवलपमेंट ऑफ दी रशियन फार ईस्ट एंड आर्कटिक के “आर्कटिक: टेरिटरी ऑफ डायलॉग” स्टैंड में आयोजित किया गया था, जो इसके बिजनेस प्रोग्राम के लगभग 15 कार्यक्रमों में से एक था, जिनमें से कुछ आर्कटिक परिषद की रूस की अध्यक्षता की योजना में शामिल हैं। इनमें आर्कटिक जैव विविधता की रक्षा एवं निगरानी, रूसी आर्कटिक – फोकल प्वाइंट, 21 वीं सदी में संरक्षित क्षेत्र, और आर्कटिक में फिल्म निर्माण: प्रकृति और प्रौद्योगिकी के बीच एक संवाद पर चर्चा शामिल है।”