मुंबई. सोना खरीदने के बजाय सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड खरीदने वाले निवेशक फायदे में हैं। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर 2 फीसदी के आसपास ब्याज मिलता है, इधर सोने की कीमतों में तेजी भी आई है। सॉवरेन बॉन्ड के निवेशक 5 साल में अपना पैसा निकाल सकते हैं। मान लीजिये जिन्होंने गोल्ड बॉन्ड की पहले किस्त यानी 2015 में निवेश किया है वे 2020 में इससे पैसा निकाल सकते हैं। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से साढ़े तीन साल के दौरान 26 चरणों में जारी कुल 7,176.49 करोड़ रुपये के गोल्ड बॉन्ड भारतीयों ने खरीदे हैं। आरबीआई के आंकड़े से पता चलता है कि निवेशकों ने अभी तक 2,600 रुपये प्रति ग्राम से लेकर 3,214 रुपये प्रति ग्राम के दायरे में गोल्ड बॉन्ड खरीदे हैं। सर्राफा कारोबारियों का कहना है कि सॉवरेन बॉन्ड ज्याादा लोकप्रिय नहीं हुए हैं, क्योंकि शुरुआत में कई चैरिटेबल ट्रस्ट और बड़े खरीदार इससे दूर रहे थे। इस पर जीएसटी और किसी भी तरह का कैपिटल गेंस नहीं चुकाना पड़ता है, लेकिन ब्याज पर टैक्स देना पड़ता है इसलिए लोगों ने इसमें कम दिलचस्पी दिखाई थी। नवंबर 2015 में गोल्ड बॉन्ड के पहले इश्यू के वक्त सोने की कीमत 25 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम थी। अब यह बढक़र लगभग 34 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गई है।
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