अप्रत्याशित बड़ी मांग
यह आसानी से समझा जा सकता है कि जिस देश की आबादी 130 करोड़ है, वहां सुरक्षा से जुड़ी इन चीजों की कितनी बड़ी मांग होगी। भारत में इन चीजों के उत्पादन की स्थापित क्षमता पर्याप्त है। सामान्य समय में उत्पादन क्षमता का इस्तेमाल भी नहीं हो पाता है क्योंकि इनकी मांग केवल कुछ विशेष उद्योगों से ही आती है। अब अप्रत्याशित मांग को देखते हुए यह उद्योग और सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं कि कौन सी इकाइयों को थोड़ा बदलकर सुरक्षा साजो-सामान का उत्पादन में लगाया जा सकता है।
मानकों पर खरे नहीं मास्क
उदाहरण के लिए सरकार मास्क बनाने के लिए बैग बनाने वाली छोटी इकाइयों के साथ मिलकर काम कर रही है। इन दिनों में जो बहुत सी छोटी इकाइयां शुरू हुई हैं, वे मानकों पर खरे उतरने वाले मास्क नहीं बना रही हैं। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘शॉपिंग बैग बनाने वाले बहुत से उद्यमी मास्क भी बना सकते हैं। अब सरकार इन छोटी इकाइयों के साथ मशीनों में थोड़े बदलाव पर काम कर रही है ताकि वे कुछ समय मास्क बना सकें।’
उद्योग ने सरकार से किया आग्रह
एसोसिएशन ऑफ इंडियन मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री (एआईएमईडी) के फोरम समन्वयक राजीव नाथ ने कहा कि उद्योग ने सरकार से आग्रह किया है कि वह अपने तकनीकी केंद्रों से कुछ इंजीनियर भेजे, जो इन सूक्ष्म एवं लघु इकाइयों को अपनी मशीनरी रि-डिजाइन करने में मदद दे सकें।