नई दिल्ली. कोविड-19 महामारी की दूसरी और ज्यादा विकराल लहर आने तथा लोगों की जिंदगी में उथलपुथल मच जाने के बावजूद देश का रोजमर्रा की खपत का सामान (एफएमसीजी) बनाने वाली उद्योग सबसे तेजी से उबरने वाला क्षेत्र बन गया है। जून तिमाही के शुरुआती आंकड़े और अनुमान बता रहे हैं कि नामी एफएमसीजी कंपनियां जल्द ही महामारी से पहले का कारोबारी स्तर लांघ सकती हैं।
मार्च 2020 से देशव्यापारी लॉकडाउन के कारण एफएमसीजी कंपनियों की आमदनी बुरी तरह प्रभावित हुई थी। उपभोक्ताओं ने आगे सामान नहीं मिलने के डर से भारी मात्रा में राशन इक_ा कर लिया था। इसके बाद प्रमुख एफएमसीजी कंपनियों की बिक्री और मुनाफा प्रभावित हुए और इस क्षेत्र का राजस्व घटकर 2019 के स्तरों से नीचे आ गया।
इस साल अप्रैल और जून के बीच दूसरी लहर के दौरान लॉकडाउन और खुदरा गतिविधियों पर बंदिशों से भी कारोबारी गतिविधियां प्रभावित हुईं। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के मुताबिक इस बार उपभोक्ताओं का खरीद का तरीका ज्यादा अनुशासित रहा। पैकेटबंद सामान बनाने वाली कंपनियों को वैसा फायदा नहीं मिला, जो 2020 में लोगों में सामान इक_ा करने की हड़बड़ी से मिला था। फिर भी बेहतर पैठ, दुरुस्त आपूर्ति शृंखला, खास उत्पादोंं को प्रोत्साहन दिए जाने एवं डिजिटल प्रचार से बिक्री में गिरावट पर अंकुश लगाने में मदद मिली।
इस क्षेत्र की दो सबसे बड़ी कंपनियों – हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल) और आईटीसी का प्रदर्शन यही दिखाता है। देश की सबसे बड़ी एफएमसीजी कंपनी एचयूएल मात्रा और बिक्री मेंं तगड़ी वृद्धि की बदौलत 2019 की जून तिमाही के अपने राजस्व को पार करने में सफल रही है। पिछले साल इसकी शुद्ध बिक्री 2019 से अधिक थी क्योंकि ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन के उपभोक्ता कारोबार का अधिग्रहण करने से कंपनी की कुल आमदनी बढ़ गई थी।
आईटीसी की शुद्ध बिक्री जून 2019 12.5 फीसदी अधिक है। कंपनी की बिक्री में पिछले साल दो अंकों मे गिरावट रही थी। लेकिन इयके होटल कारोबार का राजस्व कोविड से पहले के स्तरों से 68 फीसदी नीचे बना हुआ है और सिगरेट कारोबार लॉकडाउन से प्रभावित हो रहा है।