जयपुर: मंगलम आनंदा सोसायटी का मामला… घर से चंद कदम की दूरी पर भी मिल सकती है पोस्टिंग या डेपुटेशन का उपहार
मंजू सुराणा. जयपुर
भ्रष्टाचार केवल वह नहीं है, कि किसी अधिकारी या किसी कारोबारी के यहां कालाधन या बड़ी मात्रा में अवैध नकदी मिली हो, आज के दौर में ऑब्लिगेशन भी बड़ा भ्रष्टाचार बनता जा रह है। ये मामला है सांगानेर स्थित मंगलम बिल्डर्स की आनंदा सोसायटी का, जहां 25 से ज्यादा एसबीआई के बैंक अधिकारी निवास करते हैं, इतना ही नहीं यहां एसबीबीजे के पूर्व चेयरमैन का भी फ्लैट है। साथ ही डीजीएम, एजीएम और ब्रांच मैनेजर लेवल के अधिकारियों की तो गिनती तो दो दर्जन से ज्यादा है। बात ये नहीं कि इनकी इतनी संख्या या रुचि इसी प्रोजेक्ट में क्यों हैं, हालांकि ये प्रोजेक्ट एसबीआई द्वारा फाइनेंस भी किया गया है। मसला यह है कि अब इस सोसायटी परिसर में बनी चार या पांच दुकानों के बीच की दिवार तोड़कर एक एसबीआइ की ब्रांच खुलने जा रही है, जबकि इस क्षेत्र के आस—पास के एक—दो किलोमीटर के रेडियस में तीन से चार एसबीआई की ब्रांच पहले से ही मौजूद है, जहां निमित मात्र का फुटफॉल है। ये बिल्डर व एसबीआई के आला अधिकारियों की सांठगांठ का मामला ज्यादा लग रहा है, क्योंकि जब बिल्डर की प्रोजेक्ट टीम से पूछा गया कि ये दुकानें आखिर किस की तो उनका जवाब था कि ये कोई आनंदा के बाहर के ओनर है, जिन्होंने बैंक को ये परिसर किराए पर दिया है।
सुरक्षा को ताक पर रखा गया
ये एसबीआई की ब्रांच जिस रोड पर है वो रोड मात्र 50 मीटर के बाद ब्लॉक हो जाता है, और इस ब्रांच व सोसायटी के चारों तरफ कच्ची बस्ती है, हालांकि सोसायटी के सामने 160 फीट की रोड मास्टर प्लान में प्रस्तावित है, लेकिन अभी यहां पूरा अवैध कब्जा है।
मास्टर प्लान में रोड पर आ जाएगी ये ब्रांच
दरअसल ये ब्रांच मास्टर प्लान एक्जीक्यूट होने पर लगभग रोड पर ही आ जाएगी, क्योंकि बिल्डर ने इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए अवैध कब्जा भी किया है। अब देखने वाली बात ये है कि एसबीआई की वो टीम जिस ने इस ब्रांच की अप्रूवल दी है, वे किस नियम के आधार पर दी है।
ब्रांच के नीचे ही है रात 12 बजे तक चलने वाला ढाबा
एक अजीब बात ये भी कि ये एसबीआई की ब्रांच दूसरे तल पर बनाई जा रही है, जहां लॉकर्स के साथ—साथ सभी सुविधाए भी होंगी, लेकिन इसके नीचे एक ढाबा या रेस्टोरेंट भी है, जो हुड़दंगियों का अडडा बन गया है, यहां रात 12 बजे पार्किंग में हलागुल्ला जारी रहता है।
ऐसे जमाते है सिक्का
इस सोसायटी के आयोजनों में यहां के एसबीआई अधिकारी ब्रांच व एलएचओ स्तर पर सहयोग भी करते रहे हैं, यहां के एक क्रिकेट टूर्नामेंट को तो एसबीआई कई बार स्पांसर भी कर चुकी है। जबकि मजे की बात ये है कि ये टूर्नामेंट टेनिस कोर्ट पर खेला जाता है, जिसका विवाद सोसायटी के रेजिडेंटस के बीच कोर्ट में है।
रेजिडेंटस ने की शिकायत
यहां के कुछ जागरूक रेजीडेंटस ने इस मामले की शिकायत आरबीआई लोकपाल और डिप्टी गवर्नर, आरबीआई के साथ—साथ जिला कलेक्टर, जयपुर को भी की है।
यूपीआइ व नेटबैंकिंग के जमाने में ब्रांच विस्तार
आस—पास के क्षेत्र में प्रयाप्त ब्रांच होने के बावजूद इस नई ब्रांच का क्या औचित्य है। यूपीआई और नेट बैंकिंग के जमाने में क्या ये किराया खाने की जगत या अपने चहेतों को घर में पोस्टिंग का शगुफा है।