मुंबई। पिछले एक महीने के दौरान देश के 1,000 नए अस्पताल केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना (Ayushman Bharat yojna) से जुड़े हैं। हालांकि इस योजना के तहत नए अस्पतालों का पंजीकरण जरूर बढ़ा है, लेकिन इसके तहत नए मामलों (मरीज) की संख्या में करीब 60 प्रतिशत कमी आई है। केंद्र की इस महत्त्वाकांक्षी योजना कई छोटे अस्पतालों के लिए वरदान साबित हो सकती है क्योंकि कोविड-19 महामारी के बाद इनका कारोबार थम गया है और कमाई काफी कम हो गई है।
प्रति दिन 200 से 1,000 जांच योजना में
इस बीच, आने वाले सप्ताहों में प्रति दिन होने वाले 200 से 1,000 जांच इस योजना की जद में आ जाएंगे। फिलहाल आयुष्मान भारत-पीएमजेएवाई द्वारा परिचालित कॉल सेंटर अधिक जोखिम की आशंका वाले लोगों से संपर्क साध रहे हैं और उन्हें पर्याप्त सावधनी बरतने के लिए कह रहे हैं।
एक महीने में 1,000 नए अस्पताल योजना से जुड़े
राष्टï्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण और एबी-पीएमजेएवाई के मुख्य कार्याधिकारी इंदु भूषण ने बताया, ‘पिछले एक महीने में करीब 1,000 नए अस्पताल इस योजना से जुड़े हैं। हमने इस योजना के तहत पंजीकृत अस्पतालों से जुड़े दिशानिर्देशों में बदलाव किए हैं और कुछ नए प्रावधानों की अनुमति दी है। मसलन, कोई अस्पताल केवल तीन महीने के लिए इस योजना के तहत सेवा देने के लिए पंजीकृत हो सकता है।’ मंजूरी की प्रक्रिया भी आसान बना दी गई है। भूषण ने कहा कि अस्पताल इस योजना को राजस्व के एक स्रोत के रूप में दिख रहे हैं, इसलिए वे इससे जुड़ रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘इस तरह, हम अधिक से अधिक लोगों को सेवाएं दे पाएंगे और अस्पतालों को भी कुछ राजस्व मिलता रहेगा।’
निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों की घटी संख्या
इस बीच, पीएमजेएवाई के तहत इलाज के लिए आने वाले मरीजों की संख्या करीब 60 प्रतिशत तक कम हो गई है, लेकिन पुरानी बीमारियां जैसे डायलिसिस के आने वाले मरीजों की तादाद केवल 15 प्रतिशत तक कम हुई है। भूषण ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि लॉकडाउन में ढील दिए जाने के बाद यह तादाद बढ़ेगी और अधिक लोग इलाज के लिए आएंगे। लोगों ने इस समय कुछ शल्य चिकित्साएं टाल दी है। हम पहले हरेक दिन 25,000-30,000 इलाज या मरीजों की भर्ती किया करते थे, लेकिन यह कम होकर 12,000 या इसके इर्द-गिर्द रह गया है।’ उन्होंने उम्मीद जताई कि इस महीने के अंत तक यह संख्या बढ़कर करीब 25,000 हो जाएगी।