Jaipur: रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध से हीरे की चमक में बदलाव साफ दिखाई दे रहा है। युद्ध से प्राकृतिक (असली) हीरों की चमक फीकी पड़ी है तो नकली ( लैब निर्मित) हीरों की चमक में निखार आ गया है। बाजार में असली हीरों की किल्लत से निपटने के लिए नकली हीरों का उत्पादन बढ़ गया है।
भारत में 30 फीसदी कच्चे हीरों का आयात रूस से किया जाता है। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण आपूर्ति बधित हुई, जबकि कोरोना महामारी से उबरने के बाद वैश्विक बाजार तैयार हीरे की मांग बढ़ी है। जिससे कीमतों में उछाल देखने को मिल रही है तथा सिंथेटिक हीरे की मांग बढ़ी है। नील व्हाइट एक्सपोर्ट कंपनी के प्रबंध निदेशक नरेश मेहता कहते हैं कि हीरे की मांग बढ़ी है। बाजार में प्राकृतिक और सिंथेटिक दोनों हीरे की मांग में तेजी आई है। इस कारण कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई है। प्राकृतिक हीरे की कीमतें बढ़ने की असली वजह कच्चे हीरे की आपूर्ति में कमी नहीं बल्कि अफवाहों की वजह से कीमतों में हर दिन उतार-चढ़ाव हो रहा है।
रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से अमेरिका ने रूस से आयातित रफ के कट ऐंड पॉलिश हीरे पर प्रतिबंध लगा दिया है। भारत में तैयार कट ऐंड पॉलिश हीरों का सबसे बड़ा बाजार अमेरिका है। ऐसे में रूस से कच्चे हीरों की होने वाली कम आपूर्ति से बाजार बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं हो रहा है। फिर भी इसका असर बाजार में जरूर है। कच्चे हीरे की आपूर्ति कम हुई है इसीलिए डीटीसी साइट ने कच्चे (रफ) हीरों के भाव बढ़ा दिए हैं। डीटीसी ने हल्के साइज के तैयार हीरे की मांग बढ़ने पर 5 से 8 फीसदी की बढ़ोतरी की है। जिसके कारण गहनों में उपयोग होने वाले हल्के साइज (छोटे) के रफ के भाव बढ़े हैं। इनकी मांग अधिक है। जबकि प्रीमियम रफ के भाव में बढ़ोतरी नहीं हुई है।