प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी श्रद्धांजलि
अमिताभ बच्चन एंग्री यंगमैन तो ऋषि कपूर बने लवर बॉय
हमें महानायक पसंद हैं। शायद इसलिए क्योंकि वह परदे पर हर वो काम करता है जो हम असल जीवन में करना तो चाहते हैं लेकिन कर नहीं पाते। अमिताभ बच्चन ने एंग्री यंगमैन की भूमिका में जहां आम आदमी के गुस्से को परदे पर उतारा, तो वहीं मासूम चेहरे वाले युवा ऋषि कपूर ने आम भारतीय के मन के कोमल तारों को छेड़ा। चॉकलेटी चेहरे वाले लवर बॉय की भूमिका में वह युवा दिलोंं पर लंबे समय तक राज करते रहे।
यह भी पढें : खलनायक का सीक्वल बनायेंगे सुभाष घई
दादा और पिता की विरासत को कायम रखने का दबाव
कहने वाले यह भी कहते हैं कि कपूर खानदान का होने के कारण उन्हें फिल्मी करियर चांदी के थाल में सजाकर मिला था लेकिन ऐसे इल्जाम लगाने वाले शायद यह भूल जाते हैं कि सिर्फ इतना ही काफी नहीं था। उन पर अपने दादा पृथ्वीराज कपूर और पिता राजकपूर की महान विरासत को कायम रखने का दबाव भी था, जिसे उन्होंने बखूबी झेला और एक शानदार अभिनेता के रूप में अपनी पहचान बनाई।
गीत ‘प्यार हुआ इकरार हुआ’ में तीन वर्ष की उम्र में दिखे थे
अभिनेताओं के परिवार में जन्मे ऋषि कपूर ने पहली बार कैमरे का सामना तब किया जब वह मात्र तीन वर्ष के थे। फिल्म ‘श्री 420’ का मशहूर गीत ‘प्यार हुआ इकरार हुआ’ भला किसे याद नहीं होगा? इस गाने में शामिल तीन बच्चों में सबसे छोटे बच्चे ऋषि कपूर ही थे। सन 1970 में आई राज कपूर की एक अन्य फिल्म ‘मेरा नाम जोकर’ में उन्होंने अपने पिता के बचपन की भूमिका निभाई थी।
फिल्म ‘बॉबी’ से रजत पट पर धमाकेदार आगाज
रजत पट पर उनका धमाकेदार आगाज हुआ सन 1973 में आई फिल्म ‘बॉबी’ से। किशोरवय प्रेमियों की इस प्रेम कहानी ने देश भर में धूम मचा दी। ऋषि कपूर और ङ्क्षडपल कपाडिय़ा की जोड़ी को खूब सराहा गया और बतौर नायक अपनी पहली ही फिल्म के लिए ऋषि कपूर को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार भी मिला। सन 1980 में अभिनेत्री नीतू सिंह से विवाह के पहले दोनों ने एकदूसरे के साथ कई फिल्में कीं। ‘रफूचक्कर’, ‘कभी कभी’ और ‘दूसरा आदमी’ ऐसी ही कुछ फिल्में हैं। सन 1980 में आई सुभाष घई की फिल्म ‘कर्ज’ बॉक्स ऑफिस पर बहुत अधिक कामयाब भले न हुई हो लेकिन बतौर अभिनेता उसने ऋषि कपूर का कद जरूर मजबूत किया। इस दशक के अंत में कपूर ने चांदनी और नगीना जैसी ब्लॉकबस्टर हिट्स भी दीं।
‘अग्रिपथ’ में रऊफ लाला बन दिखाई ताकत
फिर भी यह कहना होगा कि अपने करियर की दूसरी पारी में ऋषि कपूर ने दर्शकों और समीक्षकों को ऐसा चौंकाया जिसकी कोई हद नहीं। लोगों के मन मेंं लवर बॉय की इमेज वाले ऋषि कपूर जब ‘अग्रिपथ’ की रीमेक में रऊफ लाला के रूप में परदे पर उतरे तो दर्शकों की रीढ़ में एक सिहरन सी दौड़ गई। इसके बाद तो उन्होंने बार-बार दर्शकों को अपनी अभिनय क्षमता का कायल बनाया। फिर तो ‘102 नॉट आउट’ के बाबूलाल हों या ‘राजमा-चावल के राज माथुर’ या फिर ‘द बॉडी’ के एसपी जयराज रावल, ऋषि कपूर ने हर भूमिका में जान फूंक दी।
मुल्क रही आखिरी मूवी
बावजूद तमाम भूमिकाओं के, हर अभिनेता के जीवन में ऐसी भूमिका की चाह होती है जो उसे संपूर्ण बनाती है। हर बल्लेबाज अपना बल्ला टांगने के पहले कम से कम एक ऐसी पारी खेलना चाहता है जिसे दुनिया याद रखे। ऋषि कपूर ने अपनी यह पारी उम्र की ढलान पर जरूर खेली लेकिन इसमें उनका अभिनय कौशल शिखर पर था। यह भूमिका थी अनुभव सिन्हा की फिल्म ‘मुल्क’ में मुराद अली मोहम्मद की। बनारस की पृष्ठभूमि पर बनी इस फिल्म में आतंकवादी का परिवार होने का लेबल झेल रहे परिवार के मुखिया के रूप मेंं ऋषि कपूर ने अभिनय के शिखर को छुआ।