- भुखे-प्यासे बच्चें पांच दिन से लावारिसों की तरह सड़कों पर
- प्रॉपर्टी की लड़ाई में मासूम बच्चों पर टूटा कहर, दादा-चाचा ने मारपीट कर नाबालिग लड़कियों को किया प्रताड़ित
जयपुर। शहर के प्रतापनगर इलाके में 6 बच्चों पर प्रॉपर्टी की लड़ाई का कहर टूट पड़ा है। प्रताप नगर के सेक्टर 16 में रहने वाले बीएसएनएल से रिटायर्ड कर्मचारी लालाराम जाटव ने अपने ही पोते-पोतियों को बेरहमी से घर से बाहर निकाल दिया। अब बच्चे पिछले पांच दिन से घर के बाहर धूप मेेेें लावारिस की तरह जिंदगी जी रहे हैं। रात को भी बच्चे अकेले ही घर के बाहर जीवन जीने को मजबूर हो रहे हैं।
मामला जयपुर के प्रतापनगर के सेक्टर 16 का है जहां बीएसएनएल से सेवानिवृत हुए लालाराम जाटव ने पहले कानून की मदद से बेटे-बहू को घर से बेदखल किया और बाद में बच्चों को बेरहमी से पीटकर और प्रताड़ित करके धोखे से घर से निकाल दिया। मिली जानकारी के अनुसार बेटे-बहूू को निकालने के बाद कानूनन वे अपने पोते-पोतियों को नहीं निकाल सके और मां-बाप अपने बच्चों को इसलिए साथ नहीं ले गए क्योंकि वे खुद सड़क पर अपना जीवन यापन कर रहे थे। जानकारों के अनुसार पांचों बच्चों को सड़क पर रखने से बेहतर घर पर ही छोड़ दिया सोचा दादा का खून है बच्चों पर दया करके उन्हें परेषान नहीं किया जाएगा परंतु उन्हें क्या मालूम था कि दादा और चाचा ने मासूम बच्चों को इस तरह प्रताड़ित किया कि एक बेटी तो मानसिक रोग का षिकार हो गई और बाकी बच्चों को भी हाल बहुत बुरा है।
चाइल्ड हेल्प लाइन पर लाचार- राजस्थान सरकार द्वारा चल रही चाइल्ड हेल्प लाइन 1098 पर बच्चों ने फोन करके षिकायत दर्ज कराई कि उनके दादा और चाचा उनको मार-पीट कर रहे है, परेषान कर रहे है और घर से निकाल रहे है परंतु दादा की पहुंच पुलिस प्रषासन में इतनी है कि मामला दर्ज भी नहीं हो सका। चाइल्ड हेल्प लाइन ने समाज सेवियों की मदद ली तो सभी को यह डर था कि दादा लालराम जाटव झुठे मुकदमें भी फंसा नहीं दे।
वी द पिपल हम लोग संस्था ने दर्ज कराया मामला- बच्चों की हालत देख समाज के पीड़ित लोगों की मदद करने वाली संस्था वी द पिपल संस्था हम लोग की फाउंडर मंजू सुराणा ने मामले में गंभीरता देखते हुए बच्चों की तरफ से खुद दादा, चाचा, बुआ आदि के खिलाफ मामला दर्ज कराया है परंतु बच्चों को अभी भी आषियाना नहीं मिल पाया। मंजु सुराणा ने इस बारे में बताया कि बच्चों की हालात नाजुक है और पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही। एक बच्ची का पेपर 27 जून को था परंतु चाचा और दादा ने मारपीट कर उसकी किताबें छीन ली थी इस वजह से वो परीक्षा भी नहीं दे पाई और मानसिक तनाव में आ गई, उसकी भी हालत खराब है। बच्चों का दर्द देखकर आस-पड़ोसी उन्हें खाना दे रहे है परंतु ये कितने दिन देंगे, पुलिस को तुरन्त कार्रवाई करनी चाहिए।
पांचों लड़कियां वो भी नाबालिग- मासूम बच्चों मंे पांच लड़कियां है वो भी सभी नाबालिग और चार दिन से वे सभी सड़क पर जीवन यापन कर रही है। इन बच्चों में शामिल खुषी जाटव ने बताया कि पहले मम्मी-पापा को दादा ने घर से बेदखल कर दिया और उसके बाद अब उन्हें भी मारपीट करके घर से निकाल दिया। चार दिन से खुषी और उसके भाई-बहन सड़क पर रह रहे हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा कि क्या करें।
पुलिस क्यों खामोष- प्रॉपर्टी की लड़ाई के चलते मासूम बच्चों पर कहर बरस पड़ा परंतु प्रताप नगर पुलिस उन बच्चों को प्रताड़ित करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं कर रही ये समझ के बाहर है। बच्चे लावारिस की तरह पांच दिन से धुप/बरसात में पड़े है पर कोई सूध लेने वाला नहीं है।
कानूनन नहीं निकाल सकते घर से- इस बारे में अधिवक्ता अमित शर्मा व मनीषा सुराणा का कहना है कि कानूनन अगर मां-बाप को प्रॉपर्टी से बेदखल भी किया गया है तो भी पोते-पोतियों को घर से नहीं निकाला जा सकता। इस मामले में तो माता-पिता खुद सड़क पर जीवन यापन कर रहे है तो ऐसी स्थिति में बच्चों को घर से निकालना न केवल कानून के खिलाफ है बल्कि मानवता के नाते भी यह नहीं होना चाहिए।
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