जयपुर। फरवरी में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (consumer price Index) आधारित मुद्रास्फीति में पिछले महीने के मुकाबले भले ही मामूली नरमी दिखी हो लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक (reserve Bank of India) की वित्तीय स्थायित्व रिपोर्ट में कहा गया है कि खुदरा मुद्रास्फीति में तेजी बरकरार है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इनपुट लागत में नरमी के असर को मुख्य मुद्रास्फीति लगातार नकार रही है। अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में सालाना बदलाव के आधार पर मापित हेडलाइन मुद्रास्फीति फरवरी 2023 में घटकर 6.44 फीसदी रह गई जो जनवरी में 6.52 फीसदी थी। जनवरी और फरवरी के बीच हेडलाइन मुद्रास्फीति में 8 आधार अंकों की नरमी को 24 आधार अंकों के अनुकूल बेस इफेक्ट से बल मिला जो 17 आधार अंकों की रफ्तार से कहीं अधिक था।
मौद्रिक नीति की अगली समीक्षा की घोषणा 6 अप्रैल को
मई 2022 और फरवरी 2023 के बीच नीतिगत रीपो दर में 250 आधार अंकों की बढ़ोतरी के बावजूद उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति चालू वित्त वर्ष के 11 में से 9 महीनों के दौरान आरबीआई की 6 फीसदी की सहन सीमा से ऊपर रही। आरबीआई 6 अप्रैल को अपनी मौद्रिक नीति की अगली समीक्षा की घोषणा करेगा। इस बात पर अलग-अलग राय दिख रही है कि क्या केंद्रीय बैंक दरों में फिर वृद्धि करेगा। फरवरी में मौद्रिक नीति समिति के दो सदस्यों ने रीपो दर में 25 आधार अंकों की वृद्धि के खिलाफ मतदान किया था।
वित्त वर्ष 2024 में मुद्रास्फीति 5 से 5.6 फीसदी के बीच रहने की उम्मीद
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘मुख्य मुद्रास्फीति इनपुट लागत में नरमी के प्रभाव को लगातार नकार रही है। वैश्विक अनिश्चितताओं के मद्देनजर वित्त वर्ष 2024 में मुद्रास्फीति 5 से 5.6 फीसदी के बीच रहने की उम्मीद है बशर्ते भारत अल नीनो के प्रभाव से बच जाए जो दक्षिण पश्चिम मॉनसून को प्रभावित करता है।’ उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुख्य मुद्रास्फीति फरवरी में मामूली नरमी के साथ 6.1 फीसदी रह गई जो जनवरी में 6.2 फीसदी थी।