नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियां कम से फिलहाल पेट्रोल (Petrol) और डीजल (Diesel) कीमतों में शायद और इजाफा नहीं करेंगी। सरकारी अधिकारियों और क्षेत्र पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों के अनुसार तेल कंपनियां निकट भविष्य में कीमतें और नहीं बढ़ाएंगी। इस कदम को विधानसभा चुनावों से जोड़कर देखा जा रहा है, जहां भारतीय जनता पार्टी को पेट्रोल एवं डीजल की रिकॉर्ड कीमतों को लेकर दबाव का सामना करना पड़ रहा है। पेट्रोल-डीजल के दाम में बढ़ोतरी के साथ ही एलपीजी (रसोई गैस) के दाम भी 1 फरवरी से करीब 125 रुपये प्रति सिलिंडर बढ़ चुके हैं।
रुपये में नरमी से तेल कंपनियों के मार्जिन पर दबाव
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पेट्रोल 91.17 रुपये प्रति लीटर और डीजल 81.47 रुपये प्रति लीटर के भाव पर बिक रहा है। ईंधन का घरेलू खुदरा मूल्य वैश्विक बेंचमार्क से जुड़ा है और कच्चे तेल के दाम 1 मार्च को 63.69 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर 71 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गए हैं। रुपये में नरमी से तेल कंपनियों के मार्जिन पर दबाव बढ़ रहा है। डॉलर के मुकाबले रुपया आज 73.36 पर बंद हुआ।
पेट्रोल-डीजल पर कर घटाने की मांग
पेट्रोल-डीजल के दाम रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के पीछे इस पर लगने वाले कर का भी अहम योगदान है। यही वजह है कि इस पर कर घटाने की मांग की जा रही है। सरकार से जुड़े दो लोगों ने कहा कि केंद्र ने अनौपचारिक तौर पर तीनों तेल कंपनियों को फिलहाल दाम नहीं बढ़ाने के लिए कहा है। केंद्र और राज्यों के बीच ईंधन पर कर कटौती और इसे वस्तु एवं सेवा कर के दायरे में लाने की चर्चा के बाद इस बारे में औपचारिक निर्देश दिया जा सकता है। एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘कुछ राज्यों द्वारा पेट्रोल और डीजल पर कर में कटौती की है लेकिन खुदरा कीमतों पर इसका ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।’
यहां पर हुई पेटोल—डीजल दामों में कमी
उदाहरण के लिए पश्चिम बंगाल ने पेट्रोल और डीजल पर 1 रुपये प्रति लीटर कर की कटौती की है। राजस्थान ने सबसे पहले 29 जनवरी को पेट्रोल-डीजल पर मूल्यवर्धित कर को 38 फीसदी से घटाकर 36 फीसदी कर दिया था। चुनावी राज्य असम ने पिछले साल कोरोनावायरस से लडऩे के लिए कोष जुटाने की खातिर अतिरिक्त 5 रुपये प्रति लीटर का कर लगाया था जिसे वापस ले लिया गया है। मेघालय ने पेट्रोल पर 7.4 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 7.1 रुपये प्रति लीटर कर कटौती की है।