मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने आज सर्वसम्मति से रीपो दर को 50 आधार अंक बढ़ाकर 4.9 फीसदी करने का निर्णय लिया। साथ ही चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान को भी 100 आधार अंक बढ़ाकर 6.7 फीसदी कर दिया गया है। इससे संकेत मिलता है कि आने वाले महीनों में भी दर में इजाफा किया जा सकता है।
करीब एक महीने में रीपो दर में यह दूसरी बढ़ोतरी है। इससे पहले 4 मई को आरबीआई ने नियमित बैठक के बगैर ही रीपो दर में 40 आधार अंक की वृद्धि एकाएक कर दी थी। रीपो दर में बढ़ोतरी से ब्याज दरों में भी इजाफा होगा जिसका सीधा असर लोगों की मासिक किस्तों (ईएमआई) पर पड़ेगा।
दिसबर 2021 में बैंकिंग तंत्र के तकरीबन 39 फीसदी ऋण बाह्य बेंचमार्क से जुड़े थे, जो मुख्य रूप से रीपो दर है। करीब 58.2 फीसदी आवास ऋण बाह्य बेंचमार्क से जुड़े हैं। करीब 53 फीसदी ऋण एमसीएलआर से जुड़े हैं और ज्यादातर बैंकों ने मई में ही अपनी एमसीएलआर में बढ़ोतरी कर दी है।
उधारी दर में तत्काल इजाफा हो जाएगा, लेकिन सावधि जमा दरें बढ़ने में थोड़ा समय लग सकता है क्योंकि बैंकिंग तंत्र में पर्याप्त तरतला बनी हुई है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने उम्मीद जताई कि जमा दरों में भी इजाफा हो सकता है।
रीपो दर बढ़ोतरी को सही ठहराते हुए दास ने कहा कि मुद्रास्फीति का दबाव आगे और बढ़ेगा। उन्होंने कहा, ‘अप्रैल में हमने मुद्रास्फीति का जो अनुमान लगाया था उसमें 75 फीसदी की बढ़ोतरी खाद्य पदार्थों की महंगाई की वजह से आई है। मुख्य रूप से यूरोप में युद्ध की वजह से खाद्य पदार्थों के दाम बढ़े हुए हैं।’ मगर आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए वृद्धि अनुमान को 7.3 फीसदी पर बरकरार रखा है।