मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) (आरबीआई) ने आज 50,000 करोड़ रुपये के कोविड पैकेज का ऐलान किया, जिसका मकसद टीका बनाने वाली कंपनियों, चिकित्सा उपकरण की आपूर्ति करने वालों, अस्पतालों तथा बीमारी का इलाज करा रहे रोगियों को रकम उपलब्ध कराना है। केंद्रीय बैंक ने व्यक्तिगत और छोटे कर्जदारों के लिए दो साल के कर्ज पुनर्गठन का एक और चरण भी शुरू किया। आरबीआई (Reserve Bank of India) ने कहा कि वह 20 मई को द्वितीयक बाजार से 35,000 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदेगा। यह काम इस तिमाही में 1 लाख करोड़ रुपये के सरकारी प्रतिभूति खरीद कार्यक्रम के तहत ही किया जाएगा। 25,000 करोड़ रुपये के बॉन्ड पहले ही खरीदे जा चुके हैं। आरबीआई के उपायों से बॉन्ड प्रतिफल पर असर पड़ा और 10 वर्षीय बॉन्ड का प्रतिफल 6 फीसदी से नीचे आ गया।
नए तरीकों को आजमाने के लिए तैयार
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास (Reserve Bank Governor Shaktikanta Das) ने कोरोना की दूसरी लहर से अर्थव्यवस्था पर बढ़ रहे दबाव का मुकाबला करने के लिए आज अचानक संवाददाता सम्मेलन कर ठोस उपायों का ऐलान किया। दास ने कहा, ‘तात्कालिक लक्ष्य हर संभव तरीकों से मानव जीवन को बचाना और आजीविका सुनिश्चित करना है।’ उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक यह सुनिश्चित करने के लिए युद्ध स्तर पर काम करेगा कि वित्तीय हालात अनुकूल रहें और बाजार कुशलता से काम करता रहे। गवर्नर ने कहा, ‘इस मुश्किल घड़ी में हमारे नागरिक जिस परेशानी का सामना कर रहे हैं, उससे बचाने और हालात सुधारने के लिए हम सरकार के साथ मिलकर काम करेंगे। जरूरत पडऩे पर हम अपारंपरिक उपायों और नए तरीकों को आजमाने के लिए तैयार भी हैं।’
बैंकों द्वारा 50,000 करोड़ रुपये के आपातकालीन स्वास्थ्य सेवा ऋण
बैंकों द्वारा 50,000 करोड़ रुपये के आपातकालीन स्वास्थ्य सेवा ऋण 31 मार्च, 2022 तक दिए जाएंगे, जिन्हें तीन साल में वापस किया जा सकता है। इन्हें प्राथमिक क्षेत्र के ऋण की श्रेणी में रखा जाएगा। प्राथमिक क्षेत्र के ऋण के लिए बैंकों को नकद आरक्षी अनुपात या सांविधिक तरलता अनुपात बरकरार रखने की जरूरत नहीं होती और यह कर्ज रियायती दर पर उपलब्ध होता है।