मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) (Reserve Bank Of India) ने मौद्रिक नीति में दरों में कटौती पर विराम लगाते हुए दरों में कटौती का निर्णय आगे के लिए टाल दिया। हालांकि कोविड-19 (Covid-19) के दबाव के बीच व्यक्तिगत और कारोबारी जगत के लिए कर्ज पुनर्गठन में ढील देने की पहल की है। छह सदस्यीय मौद्रिक समिति ने सर्वसम्मति से रीपो दर को 4 फीसदी (Repo rate) और रिवर्स रीपो (Reverse repo) को 3.35 फीसदी पर यथावत बनाए रखने के साथ ही अपने रुख को भी उदार बनाए रखा है।
बंपर फसल और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार
केंद्रीय बैंक का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्घि में संकुचन आएगा लेकिन बंपर फसल और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार से मुद्रास्फीति में थोड़ा इजाफा हो सकता है। दरों में भले ही कटौती नहीं की गई हो लेकिन कर्ज पुनर्गठन को लेकर बाजार में खूब चर्चा रही। व्यक्तिगत ऋण (पर्सनल लोन) पुनर्गठन योजना दो साल तक चलेगी और इसमें किसी तरह की शर्त नहीं होगी जबकि कॉरपोरेट लेनदारों के लिए इसमें शर्तें जुड़ी होती हैं।
अगस्त से आगे नहीं बढेगा Moratorium
पुनर्गठन योजना का लाभ ऐसे लोग भी उठा सकते हैं जिन्होंने कर्ज भुगतान में स्थगन (मॉरेटोरियम) (Moratorium) का फायदा लिया है। आरबीआई ने कहा कि ऐसे कर्ज का पुनर्गठन करते समय संबंधित खाते को ‘स्टैंडर्ड’ के तौर पर वगीकृत करना होगा। हालांकि आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (rbi governor shaktikant das) ने अपने ऑनलाइन संबोधन में Moratorium की अवधि को अगस्त से आगे बढ़ाए जाने के बारे में कुछ नहीं कहा। इसका मतलब है कि जो इसका फायदा उठाना चाहते हैं, उन्हें पुनर्गठन में जाना होगा।
सोने पर उसके मूल्य का 90 फीसदी तक ऋण
इसके अलावा आरबीआई (RBI) ने सोने (Gold loan) पर उसके मूल्य का 90 फीसदी तक ऋण लेने की सुविधा दी है। पहले 75 फीसदी तक ही कर्ज मिलता था। स्टार्टअप (Startup) को भी ऋण के लिए प्राथमिक क्षेत्र का दर्जा दिया गया है। केंद्रीय बैंक कार्ड और मोबाइल के जरिये ऑफलाइन रिटेल भुगतान शुरू करने की भी योजना बना रहा है।