नई दिल्ली। उच्च न्यायालय (Supreme court) ने सोमवार को कहा कि कोरोनो बीमारी (Corona Virus Pandemic) के बाद ऋणों पर चक्रवृद्धि ब्याज (Compound Interest) की माफी के बारे में केंद्र (Center Government) द्वारा 2 अक्टूबर को दायर हलफनामा विभिन्न याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए कई मुद्दों से निपटने में असक्षम है। अत: न्यायालय (Supreme court) ने इस संदर्भ में सरकार (Center Government) और भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve bank of India) (आरबीआई) के अधिकारियों को 13 अक्टूबर तक एक संशोधित प्रतिक्रिया (loan moratorium amendment) प्रस्तुत करने के लिए कहा।
केंद्र का हलफनामा कुछ नहीं कहता
न्यायमूर्ति अशोक भूषण (Justice Ashok Bhushan) की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीश एससी पीठ (Supreme court) ने उल्लेख किया कि केवी कामथ समिति (KV Kamath Committee) की 7 सितंबर को दी गई रिपोर्ट में सेक्टर-विशिष्ट उपायों के बारे में केंद्र का हलफनामा कुछ नहीं कहता और इसके कार्यान्वयन के लिए उठाए गए कदमों के बारे में भी सरकार द्वारा कोई जानकारी साझा नहीं की गई। जस्टिस आर सुभाष रेड्डी (Justice R. Subhash Reddy) और एमआर शाह (Justice MR Shah) की पीठ ने कहा कि हलफनामा विभिन्न याचिकाओं में उठाए गए कई मुद्दों से संबंधित प्रश्नों का उत्तर नहीं देता है।
68-दिवसीय राष्ट्रव्यापी तालाबंदी के कारण घोषित माफी ईएमआई
अदालत (Supreme court) मार्च और अगस्त 31 के बीच समान मासिक किस्तों (ईएमआई) के भुगतान पर हितों की माफी की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिसे आरबीआई (RBI) ने कोरोना महामारी (Corona Pandemic) और 25 मार्च से लागू होने वाले 68-दिवसीय राष्ट्रव्यापी तालाबंदी (68 Days Lockdown) के कारण घोषित किया था। अदालत (Supreme court) ने केंद्र सरकार और RBI को अपनी योजनाओं को लागू करने के लिए विभिन्न नीतिगत फैसलों और उसके द्वारा लिए गए दिशा-निर्देशों का रिकाॅड देने को कहा।
क्या दलील दी सरकार ने
केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा था कि छोटे कर्जदारों, जिन्होंने 2 करोड़ रुपये तक का कर्ज लिया था, को छह महीने की मोहलत के दौरान चक्रवृद्धि ब्याज के भुगतान से राहत मिलेगी। वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) के वित्तीय सेवा विभाग में एक अंडरस्ट्रेक्ट्री ने केंद्र सरकार की ओर से हलफनामा दायर किया है। 1 मार्च और 31 अगस्त के बीच छह महीने की अधिस्थगन अवधि के दौरान चक्रवृद्धि हितों पर छूट – शिक्षा, आवास, उपभोक्ता टिकाऊ, क्रेडिट कार्ड बकाया, ऑटो, व्यक्तिगत, खपत इत्यादि जैसे ऋणों और सूक्ष्म, मध्यम और लघु उद्यमों (एमएसएमई) द्वारा की गई उधारी – निम्न श्रेणियों के लिए उपलब्ध होगी। हालांकि सरकार ने साफ किया कि छूट 2 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण पर लागू नहीं होगी।
रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए कोई राहत
बता दें कि 7 सितंबर को केवी कामथ समिति (KV Kamath Committee) ने रिपोर्ट प्रस्तुत की थी जहां उन्हाेंने ऋण पुनर्गठन के लिए 26 क्षेत्रों की पहचान की थी। ‘रियल एस्टेट क्षेत्र (Real Estate Sector) के लिए कोई राहत नहीं है। हमारे लिए ऋण पुनर्गठन की पेशकश नहीं की गई है,’ वरिष्ठ वकील आर्यमा सुंदरम ने कहा, जिन्होंने देश के 11,940 से अधिक रियल एस्टेट डेवलपर्स का प्रतिनिधित्व करने वाले शीर्ष संगठन रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (क्रेडाई) का प्रतिनिधित्व किया। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार और आरबीआई अधिकारियों को अपनी नीतिगत फैसलों के कार्यान्वयन के लिए उठाए गए कदमों के बारे में विवरण साझा नहीं करने के लिए भी खींचा।