मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve bank of India) ने मौद्रिक नीति पर यथास्थिति के साथ अपना रुख उदार रखा है मगर अर्थव्यवस्था में ब्याज दरें कुछ बढ़ गई हैं। तरलता की स्थिति सामान्य होने से अल्पावधि की दरें बढ़ गई हैं। केंद्रीय बैंक (Reserve bank of India) ने 14 दिन की रिवर्स रीपो नीलामी के जरिये शुक्रवार को 2 लाख करोड़ रुपये बैंकिंग तंत्र से हटा लिए। धन वापस आने से पहले बैंक दोबारा नीलामी कर मनचाही नकदी तंत्र से हटा सकता है। इस कदम का मकसद अल्पावधि के कर्ज की दरें बढ़ाकर रिवर्स रीपो दर के बराबर लाना है।
अल्पावधि में मनी मार्केट की दरें 25 से 30 आधार अंक बढ़ी
वास्तव में स्थिति सामान्य होने की घोषणा के बाद से अल्पावधि में मनी मार्केट की दरें 25 से 30 आधार अंक बढ़ी हैं। उदाहरण के लिए 1 जनवरी को एक महीने के लिए उधारी पर ब्याज दर 3.01 फीसदी थी, जो इस शुक्रवार को 3.53 फीसदी पर पहुंच गई। इसी तरह तीन महीने की उधारी दरें 2.99 फीसदी से बढ़कर 3.32 फीसदी और 12 महीने की दरें 3.77 फीसदी से बढ़कर शुक्रवार को 3.9 फीसदी हो गईं। लंबी अवधि की प्रतिभूतियों की दरें भी बढ़ी हैं लेकिन 6 फीसदी से नीचे हैं।
मौद्रिक नीति सीमिति की अगली बैठक फरवरी में
नीतिगत दरों पर निर्णय के लिए छह सदस्यीय मौद्रिक नीति सीमिति की अगली बैठक फरवरी के पहले हफ्ते में होगी। इसमें दरें यथावत रखे जाने की पूरी संभावना है। बैंकों की उधारी और जमा दरें अल्पावधि की दरों पर आधारित हैं, इसलिए उनमें भी इजाफा होगा। इसका संकेत उस समय मिला जब भारतीय स्टेट बैंक ने पिछले हफ्ते कुछ जमाओं पर ब्याज में 10 आधार अंक का इजाफा किया। लेकिन इस बैंक की सीमांत उधारी लागत आधारित ब्याज दर (एमसीएलआर) नहीं बदली है। हालांकि अल्पावधि के कर्ज पर ब्याज दरें बढ़ती है तो वे अगले संशोधन में इस बात का ध्यान रखेंगे।