मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve bank of India) (आरबीआई) ने आज अपनी नीतिगत दरें यथावत रखीं और चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था की वृद्धि का अनुमान एक फीसदी घटा दिया। केंद्रीय बैंक ने कहा कि वह दूसरी तिमाही में मुद्रा आपूर्ति बढ़ाने के अपने तरीके के तहत 1.2 लाख करोड़ रुपये की सरकारी प्रतिभूतियां खरीदेगा। छह सदस्यीय मौद्रिक नीति (एमपीसी) ने सर्वसम्मति से रीपो दर चार फीसदी पर यथावत बनाए रखने का फैसला लिया। इसने कहा, ‘मौद्रिक नीति का रुख उतने समय ‘ नरम’ रहेगा, जितने समय जरूरत होगी ताकि टिकाऊ आधार पर वृद्धि को सुधारा और बनाए रखा जा सके।
महंगाई आने वाले समय में लक्षित
केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्था पर लगातार कोविड-19 के असर को कम करने में जुटा है और यह भी सुनिश्चित कर रहा है कि महंगाई आने वाले समय में लक्षित दायरे में रहे।’ आरबीआई का यह फैसला कोविड से संबधित अनिश्चितताओं को मद्देनजर रखते हुए समय के हिसाब से नहीं बल्कि हालात के हिसाब से आगे बढऩे की अप्रैल की नीति की तर्ज पर ही है।
अर्थव्यवस्था में 7.3 फीसदी संकुचन
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikanta Das) ने ऑनलाइन संबोधन में कहा, ‘एमपीसी का मानना है कि इस समय सभी तरह से नीतिगत मदद की जरूरत है ताकि 2020-21 की दूसी छमाही में दिखे वृद्धि का रुझान फिर हासिल किया जा सके और सुधार के जड़ें जमाने के बाद इसे पोषित किया जा सके।’ दास ने साफ किया कि केंद्रीय बैंक का जोर वृद्धि को सुधारने पर है। दास ने कहा, ‘हम वृद्धि में सुधार और महंगाई के बदलावों पर नजर बनाए हुए हैं।’ दास ने कहा, ‘पिछले साल हमारी अर्थव्यवस्था में 7.3 फीसदी संकुचन रहा और इस साल हमने वृद्धि का अनुमान घटाया है।
महंगाई के पूर्वानुमान में थोड़ी बढ़ोतरी
इसलिए इस समय सबसे ज्यादा जोर वृद्धि और नरम रुख के संबंध में अग्रिम संकेतक देने पर है। वृद्धि पर जोर आगे भी बना रहेगा। एमपीसी के आकलन के मुताबिक महंगाई 5.1 फीसदी रहेगी, जो 2 से 6 फीसदी के लक्षित दायरे में ही है।’ बहुत से विश्लेषकों के अनुमानों के अनुरूप ही केंद्रीय बैंक ने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अनुमान घटा दिए, जबकि महंगाई के पूर्वानुमान में थोड़ी बढ़ोतरी की गई है।