नई दिल्ली। केंद्र सरकार (central government) द्वारा कृषि संबंधी तीन विधेयकों को संसद में पारित कराने के कुछ दिन बाद ही खाद्यान्न उत्पादक प्रमुख राज्यों ने बदले परिदृश्य के हिसाब से प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी है। पंजाब सरकार ने बाजार शुल्क घटाने और बासमती के व्यापारियों तथा मिलों के लिए ग्रामीण विकास शुल्क (Rural development fee) घटाकर 2 फीसदी से 1 फीसदी करने का निर्णय किया है। पंजाब ने पड़ोसी राज्य हरियाणा में कम शुल्क को देखते हुए अपने यहां भी व्यापारियों को समान अवसर देने की पहल की है।
बासमती की खरीद एमएसपी पर नहीं
हालांकि बासमती की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर नहीं की जाती है, लेकिन खबरों के मुताबिक पिछले कुछ दिनों से बासमती निर्यातक हरियाणा और उत्तर प्रदेश से बढ़ती प्रतिस्पद्र्घा को देखते हुए शुल्क कम करने की मांग कर रहे थे। हालांकि किसानों को इस कटौती का कितना लाभ मिलेगा यह देखना होगा क्योंकि राज्य के कुछ हिस्सों में बासमती के दाम पिछले साल के 2,400 रुपये प्रति क्विंटल से करीब 500 से 600 रुपये प्रति क्विंटल कम हैं।
सोयाबीन और कपास अधिक पैदावार मांग कम
अधिक पैदावार के बीच मांग कम होने से सोयाबीन और कपास जैसी खरीफ फसलों का बाजार में कारोबार उनके न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 3,380 रुपये प्रति क्विंटल और 5,516 रुपये प्रति क्विंटल से नीचे हो रहा था। इस बीच, पड़ोसी राज्य हरियाणा ने सोमवार रात कहा कि कपास और बारीक धान (धान की एक किस्म) पर ग्रामीण विकास शुल्क 2 प्रतिशत से घटाकर 0.5 प्रतिशत कर दिया गया है।
बाजार शुल्क में कमी की मांग
मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने कहा कि राज्य सरकार ने कमीशन एजेंटों के समूहों के साथ बैठक के बाद तय किया है कि वह कमीशन एजेंट को खरीद प्रक्रिया बंद होने के 15 दिनों के भीतर उनका बकाया भुगतान कर देगी या बकाया पर सालाना 12 प्रतिशत की दर से ब्याज देगी। राज्य में कमीशन एजेंट बाजार शुल्क में कमी की मांग करते हुए पिछले कुछ दिनों से हड़ताल पर थे।
बासमती के लिए बाजार एवं ग्रामीण विकास शुल्क घटाया
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर के कार्याल की तरफ से जारी एक ट्वीट में कहा गया कि मुख्यमंत्री ने बासमती के लिए बाजार एवं ग्रामीण विकास शुल्क घटा दिया है। ट्वीट में कहा गया कि कृषि विधेयकों के आने के बाद दूसरे राज्यों के मुकाबले पंजाब के बासमती कारोबारी एवं मिल मालिकों को समान अवसर मुहैया कराने के लिए यह कदम उठाया गया है।
पंजाब सरकार की बदलावों की भी घोषणा
इसके अलावा पंजाब सरकार ने कुछ दूसरे बदलावों की भी घोषणा की है। अब राज्य सरकार ने चावल मिल मालिकों के परिसरों को मंडी यार्ड के तौर पर काम करने की अनुमति दे दी और अगले कुछ हफ्तों में शुरू होने वाली धान की निर्बाध खरीदारी को बढ़ावा देने के लिए भी नए प्रावधान किए हैं। पंजाब और हरियाणा तीन कृषि विधेयकों का विरोध करने में सबसे आगे हैं।