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दलहन आयात में आएगी 60 प्रतिशत तक गिरावट!

मुंबई। उद्योग संगठन आईपीजीए ने आज कहा कि दलहन के आयात पर मौजूदा रोक जारी रही तो भारत का दलहन आयात वर्ष 2020-21 में 60 प्रतिशत घटकर 10 टन रह सकता है। इस गिरावट में घरेलू फसल के बेहतर रहने की संभावना और भारी मात्रा में उपलब्ध बफर स्टॉक का भी योगदान होगा। भारतीय दलहन एवं अनाज संघ (आईजीपीए) के अध्यक्ष जीतू भेडा ने बताया कि अगले साल भी आयात कम होगा क्योंकि संभवत: व्यापारी आयात कोटा आदेश में खामियों का फायदा उठाकर आयात करने में सफल न हो पाएं क्योंकि सरकार इस कमजोरी को दूर कर रही है। आयात कोटा आदेश को कड़ा करने के लिए विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) जयपुर उच्च न्यायालय में मुकदमा लड़ रहा है।

15 लाख टन का आयात किया

भेडा ने दलहन सम्मेलन 2020 के मौके पर कहा, ‘चालू वर्ष में कुल दलहन आयात 25 लाख टन होने की उम्मीद है, जिसमें से लगभग 15 लाख टन का आयात किया जा चुका है। ऐसा डीजीएफटी के कोटे के आदेश पर चेन्नई और जयपुर उच्च न्यायालयों के स्थगन आदेश का लाभ उठा कर व्यापारियों द्वारा आयात बढ़ाने से संभव हो सका है। आयातित खेप में ज्यादातर पीली मटर, उड़द और हरी मटर शामिल है।’ बाकी दस लाख टन कोटे के अनुरूप आयात किया गया है।

मुख्य दालों पर प्रतिबंध लगा रखा

फसल वर्ष 2018-19 (जुलाई-जून) में 2.34 करोड़ टन तक घरेलू दलहन उत्पादन के बीच स्थानीय किसानों को संरक्षित करने के लिए सरकार ने मुख्य दालों, विशेष रूप से पीले मटर, तुअर (अरहर), छोले (काबुली चना) और मूंग के आयात पर मात्रात्मक प्रतिबंध लगा रखा है। राजमा और लोबिया को बगैर किसी रोक-टोक के आयात करने की अनुमति है। भारत दलहनों का दुनिया का सबसे बड़ा उपभोक्ता देश है।

घरेलू दामों को दद मिलेगी

प्रोटीन युक्त दालों के दुनिया के सबसे बड़े उपभोक्ता देश भारत द्वारा आयात कम करने से घरेलू दामों को तो मदद मिलेगी। कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, म्यांमार और रूस में किसान समुदायों पर इसका असर होगा। भेडा ने उद्योग के दलहन सम्मेलन से इतर कहा कि वित्त वर्ष 2019-20 में मार्च तक भारत का दलहन आयात कई गुना बढ़कर 25 लाख टन रहने की संभावना है। इस बात को ध्यान में रखते हुए कि वर्ष 2016-17 में रिकॉर्ड दलहन आयात से घरेलू दाम लुढ़क गए थे, भारत ने पीली मटर, हरे चने और काबुली चने जैसी किस्मों के लिए आयात कोटा लागू किया था। सरकार के इस कोटे के अनुसार कारोबारी केवल दस लाख टन दलहन का ही आयात कर सकते थे, लेकिन कारोबारियों ने विभिन्न अदालतों में याचिका दायर करके अतिरिक्त 15 लाख टन का आयात किया था।

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