नई दिल्ली.: खाने-पीने का सामान रेस्तरां से घर-दफ्तर तक पहुंचाने वाली फूडटेक कंपनी जोमैटो अब केवल 10 मिनट में अपने ग्राहकों तक खाना पहुंचाना चाहती है मगर उसकी योजना डिलिवरी करने वालों, बाजार विशेषज्ञों, सोशल मीडिया यूजर्स और रेस्तरां को बिल्कुल नहीं सुहाई। जैसे ही उसने प्रायोगिक तौर पर इसे शुरू
करने की घोषणा की, योजना की चौतरफा आलोचना शुरू हो गई।
डिलिवरी के लिए अंशकालिक (पार्ट टाइम) काम करने वालों की यूनियन के नेता शेख सलाउद्दीन कहते हैं, ‘जोमैटो को इन नई सेवाओं की वजह से होने वाले तनाव और दबाव को समझना चाहिए। उसे यह नहीं भूलना चाहिए कि काम करने वाले लोग मशीन नहीं हैं। उनके कई डिलिवरी कर्मचारी दस घंटे से अधिक समय तक काम करते हैं और उनके लिए काम के अधिकतम घंटे भी तय नहीं किए जाते यानी यह नहीं बताया जाता कि डिलिवरी कर्मी अमुक घंटों तक ही लॉगइन कर सकता है।’ उन्होंने कहा, ‘ये डेटा निकालने वाली कंपनियां एक मिनट में ऑर्डर की गई बिरयानी की संख्या के बारे में जानकारी देती हैं लेकिन उन दुर्घटनाओं के आंकड़े नहीं बतातीं, जो उनके डिलिवरी कर्मियों के साथ घटती हैं।’
कांग्रेस नेता और सांसद कार्ति चिदंबरम ने ट्विटर पर कहा कि वह संसद में ऐसे कर्मियों का मुद्दा उठाएंगे। इसके बाद जोमैटो के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) दीपिंदर गोयल ने उन्हें जवाब देते हुए कहा कि डिलीवरी पार्टनर को समय पर डिलिवरी करने के लिए न तो दंड दिया जाएगा और न ही प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके अलावा, गोयल ने 30 मिनट की तुलना में 10 मिनट की डिलीवरी सेवा प्रणाली के बारे में बताने के लिए एक स्लाइड भी साझा की। उनकी योजना के अनुसार, इसमें रेस्तरां द्वारा ऑर्डर तैयार करने में 2-4 मिनट का समय लगेगा जबकि डिलिवरी साझेदारों को 20 किलोमीटर प्रति घंटे की औसत गति से 6 मिनट में 2 किलोमीटर तक की यात्रा करनी होगी।