नई दिल्ली. उपभोक्ताओं को वस्तुओं के बढ़ते मूल्यों के कारण महंगाई की मार झेलनी पड़ रही है। खासकर घरों में इस्तेमाल होने वाले खाद्य तेल की कीमतें बहुत बढ़ गई हैं। खाद्य तेल में सबसे ज्यादा उपभोग आयातित पाम तेल का होता है, जिसके बाद सोयाबीन और सूरजमुखी के तेल का स्थान आता है। उदाहरण के लिए, भारत में इस्तेमाल होने वाला 94.1 प्रतिशत पाम तेल खाने के सामान और रसोई के लिए इस्तेमाल होता है। सरकार ने 30 जून से लेकर 30 सितंबर, 2021 तक कच्चे पाम तेल पर कस्टम शुल्क कम करके 35.75 प्रतिशत से घटाकर 30.25 प्रतिशत कर दिया है और रिफाईंड पाम तेल पर कस्टम शुल्क 49.5 प्रतिशत से घटाकर 41.25 प्रतिशत कर दिया है, ताकि रिटेल बाजार में कीमतें कम हो सकें। हालांकि इससे कोई फर्क नहीं पड़ा और इस घोषणा के बाद कीमतें 6 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ गईं। पाम तेल की कीमतें बढऩे से भारतीय अर्थव्यवस्था में पहले से ही आसमान छू रही खाने एवं ईंधन की कीमतें और ज्यादा बढ़ेगी। इससे प्रदर्शित होता है कि भारतीय उपभोक्ता को कहीं भी राहत नहीं है। उपभोक्ता मामले विभाग, खाद्य एवं जन वितरण के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पाम तेल (पैकेट बंद) का औसत खुदरा मूल्य मई, 2021 में 131.69 रु. प्रति किलो था, जो पिछले 11 सालों में सर्वाधिक था।