जयपुर। जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री डॉ महेश जोशी ने कहा कि प्रेस का असहमति का अधिकार लोकतंत्र का मूलमंत्र है और इसे बचाने का हरसंभव प्रयास होना चाहिए। वे बुधवार को जवाहर कला केंद्र के रंगायन सभागार में भारत सेवा संस्थान और जवाहर कला केंद्र द्वारा विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस (world press freedom day) के अवसर पर ’भारत में प्रेस की स्वतंत्रता’ विषय पर आयोजित संवाद में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।
डॉ जोशी ने कहा जैसे किसी ग्रह पर जल की उपलब्धता वहां जीवन होने का प्रमाण देती है, उसी तरह प्रेस को असहमति का अधिकार लोकतंत्र का जीवित होना बताता है। उन्होंने बताया की पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी प्रेस स्वतंत्रता के संबंध में एक बिल लेकर आये थे। जिसे उन्होंने पत्रकारों के विरोध के बाद वापस ले लिया। ऐसा उदाहरण वर्तमान परिदृश्य में संभव नहीं है।
श्रमजीवी पत्रकारों की वजह से पत्रकारिता जीवित
उन्होंने कहा कि श्रमजीवी पत्रकारों की वजह से पत्रकारिता जीवित हैं। राजस्थान लघु उद्योग विकास निगम के अध्यक्ष और भारत सेवा संस्थान के उपाध्यक्ष राजीव अरोड़ा ने कहा कि प्रेस लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है। प्रेस एक वॉचडॉग के रूप में जनता के सामने सच लाती है और उसे सचेत भी करती है। साथ ही, प्रेस संस्थाओं को जवाबदेह भी बनाती है। उन्होंने विश्वस्तर पर देश की प्रेस की स्वतंत्रता की रैंक गिरने पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने पैड न्यूज को प्रेस की आजादी के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय बताया और इस पर गहन चिंतन कर समाधान करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
संविधान में नागरिकों को जानने का अधिकार
इस अवसर पर हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और पुूर्व पत्रकार ओम थानवी ने कहा कि मीडिया की आजादी का मतलब नागरिकों की आजादी है। संविधान में नागरिकों को जानने का अधिकार है, तो मीडिया को अभियक्ति की आजादी दी गई है। उन्होंने कहा कि देश में सनसनीखेज पत्रकारिता का दौर चल रहा है और पत्रकारिता के नाम पर मनोरंजन हो रहा है। पत्रकारिता समझ और विवेक से दूर हो गई है। थानवी के ऑनलाइन पत्रकारिता द्वारा तथ्यों को गलत रूप से प्रस्तुत करने पर भी चिंता व्यक्त की।
अधिकार के बिना व्यक्ति का सर्वांगीण विकास नहीं
संवाद कार्यक्रम में नेशनल एकेडमी ऑफ लीगल स्टडीज एंड रिसर्च विधि विश्विद्यालय, हैदराबाद के पूर्व कुलपति और विधि विशेषज्ञ डॉ फैजान मुस्तफा ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सबसे महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा की किसी भी संविधान को अगर नागरिकों को केवल एक ही अधिकार देना हो तो, उसे अभिव्यक्ति का अधिकार ही दें। इस अधिकार के बिना व्यक्ति का सर्वांगीण विकास नहीं हो सकता। लोकतंत्र में असहमति होने से ज्ञान की वृद्धि होती है और व्यक्ति सही निर्णय ले सकता है। उन्होंने कहा कि जनतंत्र में लोग सरकार का चुनाव करते है और इसके लिए विकल्प होने चाहिए। ये विकल्प मीडिया के माध्यम से ही जनता को पता चल सकते हैं।
गहलोत के दिए गए संदेश का वाचन
मुख्यमंत्री के पूर्व मीडिया सलाहकार और वरिष्ठ पत्रकार गोविंद चतुर्वेदी ने अंत में थानवी और डॉ मुस्तफा से प्रेस की स्वतंत्रता से सबंधित विषयों पर चर्चा की। उन्हांेने अपने पत्रकारिता जीवन और मीडिया सलाहकार के अनुभवों को श्रोताओं से साझा भी किया। कार्यक्रम मे राजस्थान क्रिकेट एकेडमी के अध्यक्ष श्री वैभव गहलोत, भारत सेवा संस्थान के सचिव जीएस बापना, पत्रकारगण और श्रोतागण उपस्थित थें। इस अवसर पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर दिए गए संदेश का वाचन भी किया गया।