शुक्रवार, नवंबर 22 2024 | 03:02:47 AM
Breaking News
Home / ब्रेकिंग / अपर्याप्त कोयता आपूर्ति से बढ़ी बिजली की दर्रें

अपर्याप्त कोयता आपूर्ति से बढ़ी बिजली की दर्रें

 

जयपुर. डिस्कॉम्स के विनिमय केंद्रों की डे अहेड बाइंग रणनीति व बिजली की बढ़ती मांग ने स्पॉट पावर कीमतों को 6.20 रुपये प्रति इकाई लांघने पर मजबूर कर दिया। यह बढ़ोतरी तापीय ऊर्जा की बढ़ती मांग व अपर्याप्त कोयला आपूर्ति के बीच हुई है। इस समय डिस्कॉम्स के पास बिजली कंपनियों के साथ दीर्घावधि के पीपीए में हाथ आजमाना एक उपाय है। उद्योग के जानकारों के अनुसार अधिक लोगों तक बिजली की पहुंच के साथ इसकी मांग में बढ़ोतरी जारी रहेगी। मांग में बढ़ोतरी के मुख्य कारण हैं सरकार की सभी को 24 घंटे बिजली, स्मार्ट सिटीज, सभी के लिए घर योजना, मेक इन इंडिया द्वारा औद्योगिक प्रगति, बढ़ता शहरीकरण, आधारभूत संरचना की आवश्यकताएं, बिजली चलित वाहन एवं वर्तमान आर्थिक प्रगति के कारण इसकी मांग बढ़ती जा रही है। ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि ग्रामीण इलाकों के विद्युतीकरण से बिजली की मांग बढ़ेगी जिससे कोयले की आपूर्ति पर बोझ पड़ेगा। कोल इंडिया का वित्तीय वर्ष 2018 का उत्पादन लक्ष्य पहले 630 मीट्रिक टन, फिर 600 मीट्रिक टन रखा गया व अंत में उत्पादन हुआ 567 मीट्रिक टन। उत्तरी राज्यों से तापीय ऊर्जा की औसत से अधिक मांग व पश्चिमी भारत से उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा व पंजाब जैसे उत्तरी राज्यों में बिजली आपूर्ति करने वाली एक महत्वपूर्ण ट्रांसमिशन लाइन के ठप्प पड़ जाने से इन राज्यों में कीमतें बढ़कर लगभग 8 रुपये प्रति इकाई पहुंच गईं। अभी वे 7.43 रुपये प्रति इकाई पर हैं। गुजरात, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, बिहार, आंध्र व तमिलनाडु की वितरण कंपनियां आपूर्ति में कमी से निपटने के लिए स्पॉट मार्केट से बिजली खरीदती हैं। यदि वे महंगी बिजली खरीदने को मजबूर होती हैं, जैसा कि अभी हो रहा है, तो यह लागत आगे ऊंची दरों द्वारा खुदरा व औद्योगिक ग्राहकों को झेलनी पड़ेगी।

Check Also

छोटा ऋण, बड़ा प्रभाव: ‘चेक आउट फाइनेंसिंग’ भारत की उपभोक्ता अर्थव्यवस्था को कैसे बढ़ावा दे रहा

Jaipur. महामारी के प्रभाव के बीच, भारत में एक अभूतपूर्व डिजिटल परिवर्तन (डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन) देखा …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *