नई दिल्ली: ये खबर तो आर्थिक आंकड़ों यानि देश के सकल घरेलू उत्पाद से जुड़ी है। लेकिन इस खबर पर सियासत होना तय था। ऐसा होता भी क्यों नहीं। दरअसल जब मौजूदा सरकार ने आंकड़ों के जरिए बताया कि यूपीए के कार्यकाल में जीडीपी की दर जो पहले बतायी गई थी उससे एक फीसद कम थी। इसका अर्थ ये था कि मौजूदा एनडीए सरकार के दौरान जीडीपी की ग्रोथ रेट यूपीए की ग्रोथ
रेट से ज्यादा है। इस आंकड़े पर पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम बरसे और खूब बरसे। उन्होंने कहा नीति आयोग पूरी तरह से महत्वहीन संस्था है और इसे बंद कर देना चाहिए। लेकिन नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार ने पी चिदंबरम की चुनौती को स्वीकार करते हुए कहा कि वो बता सकते हैं कि किस तरह से कांग्रेस के शासन में आंकड़ों के साथ बाजीगरी की गई थी।
राजीव कुमार ने कहा कि चिदंबरम जी चुनौती को स्वीकार करता हूं। आइए हम लोग पिछली सीरीज की डेटा का पोस्टमॉर्टम कर उस पर चर्चा करते हैं। उन्होंने इस विषय पर बुधवार को तीन घंटे का साक्षात्कार दिया था। ये कहना गलत और खतरनाक है कि उन्होंने ये कहा था कि मीडिया से जुड़े लोग उनसे सवाल न करें। आप इस विषय पर पुख्ता कारणों को बताएं तो बेहतर होता।राजीव
कुमार कहते हैं कि उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर नीति आयोग तर्क संगत नीतियों को संस्तुति करता है। आयोग को जो आंकड़े उपलब्ध कराए जाते हैं उन्हें देश के बेहतरीन सांख्यिकी विश्लेषक तैयार करने के साथ उसका परीक्षण करते हैं।
जनवरी 2015 में सरकार ने जीडीपी की गणना के लिए 2004-05 के आधार साल को हटाकर 2011-12 कर दिया था। इससे पहले 2010 में बेस ईयर में बदलाव किया गया था।2011-12 को आधार बनाकर सीएसओ ने बुधवार को डेटा जारी किया था। नए आंकड़ों के मुताबिक यूपीए सरकार के दौरान जीडीपी ग्रोथ रेट 6.7 फीसद थी जबकि मौजूदा एनडीए सरकार में विकास दर 7.3 फीसद थी। यूपीए सरकार ने बताया था उनके 10 वर्ष के शासन के दौरान औसत जीडीपी ग्रोथ रेट 7.75 फीसद थी