जयपुर। जन धन खाताधारक (Jan Dhan Account holder) महिलाओं को कोविड-19 राहत पैकेज (Covid-19 Relief package) के तहत सरकार से 500 रुपये की दो किस्त मिल चुकी हैं। मगर 20 मई तक केवल करीब 46 फीसदी ने ही इस पैसे की निकासी (46 percent of the Rs 500 sent directly to women withdraw) की है। सरकार जन-धन खाताधारक महिलाओं को अप्रैल, मई और जून में 20,000 करोड़ रुपये की धनराशि भेज रही है। निकासी की सुस्त रफ्तार भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास के बयान की पुष्टि करती है। दास ने शुक्रवार को अपने मौद्रिक नीति के बयान में कहा था, ‘निजी खपत में भारी गिरावट आई है।’
सरकार कम निकासी से अचंभित
सरकार कम निकासी से अचंभित है। ये आंकड़े 20.5 करोड़ जन धन खातों (Jan Dhan Account) में दो किस्त भेजने के बाद जुटाए गए हैं। एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘हमें पहली किस्त के बाद रुझान कमजोर रहने के आसार नजर आ रहे थे। मगर दूसरी किस्त के बाद निकासी में बढ़ोतरी की उम्मीद थी।’ राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर एनआर भानुमूर्ति ने कहा कि ये आंकड़े ‘चौंकाने’ वाले हैं।
मनरेगा के लिए आवंटन 40,000 करोड़ रुपये बढ़ाया
सरकारी अधिकारियों ने कहा कि इसका यह मतलब भी हो सकता है कि मनेरगा (Mnarega) जैसी अन्य योजनाओं के जरिये जिन अन्य लोगों को आय सहायता मिलेगी, उनकी निकासी भी सुस्त रह सकती है। कोरोना वायरस महामारी को मद्देनजर रखते हुए सरकार की तरफ से दिए गए आर्थिक पैकेज में मनरेगा के लिए आवंटन 40,000 करोड़ रुपये बढ़ाया गया है। यह राशि 2020-21 के बजट में अनुमानित 70,000 करोड़ रुपये से अतिरिक्त है।
गरीब वर्ग बचाने को दे रहे प्राथमिकता
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) की घोषणा के बाद भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के अध्यक्ष चंद्रजित बनर्जी ने कहा था, ‘मनरेगा के लिए आवंटन में भारी बढ़ोतरी से कामगारों को राहत मिलेगी और अर्थव्यवस्था में मांग बनी रहेगी।’ हालांकि निकासी की सुस्त दर से यह संकेत मिलता है कि गरीब वर्ग के लोग अपनी मामूली आय को खर्च करने के बजाय इसे बचाने को प्राथमिकता दे रहे हैं। दूसरे शब्दों में ऐसा लगता है कि उनकी उपभोग की सीमांत प्रवृत्ति (एमपीसी) घट रही है, जिसकी वजह लॉकडाउन (Lockdown) से उनकी आमदनी के स्रोत को झटका लगना है।