Jaipur. सितंबर 2022 में बैंकों के शुद्ध गैर-निष्पादित आस्तियों (net non-performing assets) (NPA) और शुद्ध आवंटन अनुपात में कमी आई है। मुनाफा बढ़ने से बैंकों को एनपीए के लिए प्रावधान बढ़ाने में मदद मिली है। इस वजह से आलोच्य अवधि में यह अनुपात कम होकर 1.3 प्रतिशत रह गया, जो 10 वर्षों का सबसे निचला स्तर है। भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) (आरबीआई) ने देश की वित्तीय स्थायित्व रिपोर्ट (एफएसआर) में यह बात कही है। मार्च 2012 में शुद्ध एनपीए इसी स्तर पर था। देश के निजी बैंकों का शुद्ध एनपीए 1 प्रतिशत से कम होकर 0.8 प्रतिशत रह गया है, जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के मामले में यह आंकड़ा सितंबर के अंत में 1.8 प्रतिशत था।
2022-23 की दूसरी तिमाही में इसमें कमी दर्ज
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘ दिसंबर से तिमाही आधार पर नए एनपीए का अनुपात बढ़ रहा था मगर 2022-23 की दूसरी तिमाही में इसमें कमी दर्ज की गई। सार्वजनिक क्षेत्र के मामले में यह अनुपात अधिक सुधरा है।’ प्रोविजन कवरेज रेशियो भी मार्च 2021 से लगातार बढ़ रहा था मगर यह सितंबर 2022 में 71.5 प्रतिशत हो गया। मगर बट्टे खाते (राइट-ऑफ) में गए ऋण एवं सकल एनपीए का अनुपात 2022-23 की पहली छमाही में सालाना आधार पर बढ़ गया। इससे पहले लगातार दो तिमाहियों से इसमें कमी आ रही थी।
सात वर्षों का सबसे कम स्तर
सकल एनपीए में कमी जारी रही और सितंबर के अंत में यह 5 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गया। यह पिछले सात वर्षों का सबसे कम स्तर है और सितंबर 2023 तक यह और कम होकर 4.9 प्रतिशत तक आ सकता है। नए एनपीए में कमी, बट्टे खाते में जाने वाले ऋण में इजाफा और ऋण की मांग बढ़ने से यह संभव हो पाया है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘ नए एनपीए में कमी कुल एनपीए में कमी की मुख्य वजह रही। मौजूदा हालात में सकल एनपीए में कमी का सिलसिला जारी रहना चाहिए। सितंबर 2023 में यह और कम होकर 4.9 प्रतिशत रह सकता है।’
बैंक विपरीत आर्थिक हालात से निपटने में सक्षम
प्रतिकूल हालात से निपटने में बैंकिंग तंत्र की क्षमता का जायजा लेने के बाद पता चला है कि अतिरिक्त पूंजी के बिना भी बैंक विपरीत आर्थिक हालात से निपटने में पूरी तरह सक्षम हैं। मौजूदा आर्थिक हालात में 46 बड़े
बैंकों का कुल पूंजी पर्याप्तता अनुपात (total capital adequacy ratio) (सीएआर) सितंबर 2022 में दर्ज 15.8 प्रतिशत से कम होकर सितंबर 2023 में 14.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है। हालात थोड़े प्रतिकूल होने की स्थिति में सीएआर कम होकर 14 प्रतिशत रह सकता है और हालात पूरी तरह बिगड़ने पर यह सितंबर 13.1 प्रतिशत रह सकता है। हालांकि तब भी यह न्यूनतम पूंजी की जरूरत 11.5 प्रतिशत से अधिक ही रहेगा।