मुंबई। नौ महीनों के लंबे अंतराल के बाद आखिरकार इक्विटी म्युचुअल फंडों (mutual funds) (एमएफ) में शुद्ध निवेश बढ़ा है। इसका मतलब है कि नौ महीने के बाद पहली बार इक्विटी योजनाओं में निकासी के मुकाबले निवेश अधिक रहा है। हालांकि इसके आधिकारिक आंकड़े अभी नहीं आए हैं मगर संकेत यही हैं कि एमएफ उद्योग (mutual fund Industry) अपनी इक्विटी योजनाओं में निवेशकों को आकर्षित करने में सफल रहा है। देश में म्युचुअल फंड उद्योग (mutual fund Industry) करीब 31 लाख करोड़ रुपये का है। जुलाई के बाद इक्विटी आधारित योजनाओं से निवेशकों ने 47,000 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की है।
नकदी बाजार में 2,500 करोड़ रुपये लगाए
एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (Association of Mutual Funds in India) (एम्फी) के आंकड़ों के अनुसार इक्विटी की विभिन्न श्रेणियों में प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियों में इजाफा हुआ है। पिछले महीने मोटे तौर पर बाजार का प्रदर्शन दमदार नहीं रहा, इसके बावजूद निवेशकों ने इक्विटी योजनाओं में रकम झोंकने में कोताही नहीं की। इतना ही नहीं, नौ महीनों तक लगातार निकासी झेलने के बाद एमएफ कंपनी (mutual fund Industry) बाजार में शुद्ध खरीदार रही हैं। मार्च में उन्होंने नकदी बाजार में 2,500 करोड़ रुपये लगाए हैं। जून और फरवरी के बीच इक्विटी फंड प्रबंधकों ने लगातार निकासी के दरम्यान देसी शेयरों से 1.24 लाख करोड़ रुपये निकाल लिए थे।
अमेरिका में बॉन्ड पर प्रतिफल बढ
म्युचुअल फंड उद्योग (mutual fund industry) के लोगों का कहना है कि निवेशक बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव पर नजर रख रहे थे और जब उन्होंने देखा कि बाजार शीर्ष स्तर से 7 प्रतिशत तक नीचे आ चुका है तो उन्होंने खरीदारी शुरू कर दी। इक्विटी योजनाओं में रकम आने के बाद फंड प्रबंधक बाजार में रकम लगाने का हौसला जुटा सकते हैं। यह फायदे का सौदा हो सकता है क्योंकि अमेरिका में बॉन्ड पर प्रतिफल बढऩे के बाद विदेशी निवेशक भारतीय शेयरों में अधिक निवेश नहीं कर रहे हैं।