रोहित शर्मा. अलवर. देश में बनने वाले अधिकतर कानून लापरवाही की भेंट चढ़ जाते हैं। सार्वजनिक स्थलों को धूम्रपानमुक्त बनाने के उद्देश्य से लागू किया गया धूम्रपान निषेध कानून भी इसी लापरवाही का शिकार है। खास बात तो यह है कि इसके खिलाफ सख्ती बरतने का दावा करने वाला प्रशासन भी आंखे मूंदकर रहता है। अलवर नगर परिषद के अतिक्रमण कर्मचारी अशोक मिश्रा जो इन दिनों अतिक्रमण हटाने की मुहीम पर है और उन पर तो ये गाना भी सही बैठता है मैं गरीबों की ठेली पटेरिया हटाता चला गया ! हर फिक्र को धुंए में उड़ाता चला गया। अतिक्रमण हटाने वाले मिश्रा जहां-जहां अतिक्रमण हटाने जाते हैं वहां धूंआ जरूर उड़ाते हैं साथ ही अपने दफ्तर में भी खुलेआम टेबल पर बिड़ी का बंडल रखकर चलते हैं। ना कब जाने तलब लग जाए। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार द्वार अक्टूबर 2008 में धूम्रपान पर अंकुश लगाने के लिए उक्त कानून लागू किया गया था। तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री अंबूमणि रामदास ने इसे लागू करते हुए सभी राज्यों को निर्देश जारी किए थे जिसमें कहा था कि कोई भी व्यक्ति यदि सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान करते पाया गया तो उस पर 200 रुपए का जुर्माना किया जाएगा लेकिन अब तक सिर्फ गिने चुने लोगों पर ही कार्रवाई की गई है। अब देखना यह है कि इन पर निगम कैसे लगाम कसता है।
