Jaipur: सरकार ने देश में ड्रोन का संचालन नियंत्रित करने वाली नीति को उदार बना दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि ड्रोन नियम 2021 सही दिशा में उठाया गयाकदम है और अब उद्योग निवेश के अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण पर ध्यान केंद्रित कर सकता है तथा साथ ही स्थानीय विनिर्माण को प्रोत्साहित करने वाले कार्यक्रमों में सरकार के साथ काम कर सकता है।
ड्रोन फेडरेशन ऑफ इंडिया में निदेशक (साझेदारी) स्मित शाह कहते हैं, ‘वर्तमान में ड्रोन का उपयोग मानचित्रण, अनुप्रयोगों के निरीक्षण जैसे दृश्य रेखा (वीएलओएस) अनुप्रयोगों के लिए किया जा रहा है। नए नियम उनमें से कुछ अनुप्रयोगों को उदार बनाते हैं। ड्रोन के आकार में इजाफे में एयर टैक्सियों के कुछ शुरुआती नमूने भी शामिल होंगे।’
नए ड्रोन नियम कई मंजूरियों से भी छुटकारा दिलाते हैं, जैसे यूनीक अथॉराइजेशन नंबर, यूनीक प्रोटोटाइप पहचान संख्या, विनिर्माण और उड़ान योग्यता का प्रमाण-पत्र, अनुरूपता का प्रमाण-पत्र, रखरखाव का प्रमाण-पत्र, आयात की मंजूरी, मौजूदा ड्रोन की स्वीकृति, ऑपरेटर परमिट, आरऐंडडी वाले संगठन का अधिकार, स्टूडेंट रिमोट पायलट लाइसेंस, रिमोट पायलट प्रशिक्षक अधिकार, ड्रोन पोर्ट अधिकार वगैरह। भरे जाने वाले फॉर्मों की संख्या भी 25 से घटाकर पांच कर दी गई है और ड्रोन का संचालन करने में सक्षम होने से पहले भुगतान किए जाने वाले शुल्कों की संख्या भी 72 से घटाकर केवल चार कर दी गई है।
इसके अलावा रिमोट पायलट लाइसेंस शुल्क, जो पहले बड़े ड्रोन के लिए 3,000 रुपये था, अब सभी ड्रोन के लिए केवल 100 रुपये ही है, उनका आकार भले ही कैसा भी क्यों न हो। पंजीकरण या लाइसेंस जारी करने से पहले सुरक्षा स्वीकृति खत्म कर दी गई है, ड्रोन का परिचालन करने वाली कंपनियों के विदेशी स्वामित्व को मंजूरी दी गई है और इन नियमों में 500 किलोग्राम तक वजन वाले ड्रोन शामिल होंगे। इस तरह ड्रोन टैक्सियों की संभावना भी खुल जाएगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि देश में ड्रोन निर्माण करने के लिए कुछ प्रयास की जरूरत होगी, लेकिन इन नियमों ने इसे हासिल करने का रास्ता आसान कर दिया है।
शाह कहते हैं ‘स्थानीय विनिर्माण में मदद करने वाली कोई इकाई स्थापित करने में तीन या अधिक महीने का समय लगेगा। मोटे तौर पर यह तीन से छह महीने की परियोजना है। और अगर आपके पास रक्षा उपयोग या अधिक संवेदनशील उपयोग के लिए ड्रोन हैं, तो इसमें कुछ साल लग सकते हैं।’ उन्होंने कहा कि उद्योग ड्रोन के माध्यम से विनिर्माण और सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार करेगा।
हालांकि ये नियम पहला ही कदम है, लेकिन स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन और समर्पित वित्त पोषण के जरिये और नीतिगत वृद्धि हो सकती है।
आरव अनमैन्ड सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड के सह-संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी विपुल सिंह ने लिंक्डइन की एक पोस्ट में कहा है ‘भारत सरकार ने ऐसे सबसे अच्छे ड्रोन नियम दिए हैं जिनकी कोई कल्पना कर सकता है। अब घरेलू उद्योग पर विकास के अवसर हथियाने और सभी मौजूदा बाहरी चुनौतियों के साथ बढऩे की जिम्मेदारी है। मेरा मानना है कि अगले तीन वर्षों में भारत को पांच अरब डॉलर का बाजार बनाने के लिए विकास स्तर के कुछ उद्यम पूंजीपतियों को इस क्षेत्र में निवेश करने की जरूरत है।’
शिक्षाविदों ने भी नए ड्रोन नियमों का स्वागत किया है। कानपुर के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के निदेशक अभय करंदीकर ने भी लिंक्डइन की एक पोस्ट में कहा है ‘हम अनुसंधान और कारोबार में आसानी के इस प्रगतिशील कदम का स्वागत करते हैं, जो आरऐंडडी और स्टार्टअप की क्षमता को बढ़ाएगा। हम उम्मीद करते हैं कि अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्रों – कृषि, खनन, बुनियादी ढांचा, निगरानी, आपातकालीन प्रतिक्रिया, परिवहन, भू-स्थानिक मानचित्रण, रक्षा और कानून प्रवर्तन को इन नियमों से जबरदस्त लाभ होगा।’
आईआईटी विभिन्न प्रकार की क्षमताओं और अनुप्रयोगों वाले ड्रोन से जुड़े कई अनुप्रयोगों पर काम कर रहे हैं। आईआईटी, कानपुर ने एक रोटरी विंग मानव रहित वायु वाहन (आरयूएवी) विकसित किया है, जो तीन किलो का भार उठा सकता है और दो घंटे से अधिक समय तक उड़ सकता है। आरयूएवी की सबसे अच्छी रफ्तार 75 किलोमीटर प्रति घंटा है और इसकी सबसे तेज रफ्तार 120 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच सकती है। आईआईटी, मद्रास ने ड्रोन के लिए एल्गोरिदम विकसित किया है, जो शटल, अंतरिक्ष स्टेशनों और उपग्रहों में आग के व्यवहार का विश्लेषण कर सकता है