नई दिल्ली. जिस कंपनी को नरेश गोयल ने 25 साल पहले स्थापित किया था उससे आखिरकार उन्हें विदा होना पड़ा। गोयल ने आज जेट एयरवेज के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया और निदेशक मंडल का नियंत्रण ऋणदाताओं के हाथों में सौंप दिया। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की अगुआई वाले ऋणदाताओं के समूह का जेट में 50 फीसदी हिस्सेदारी हो जाएगी जबकि गोयल का हिस्सा 51 फीसदी से घटकर 25.5 फीसदी रह जाएगा। अबू धाबी की एतिहाद एयरवेज अपनी 24 फीसदी हिस्सेदारी को घटाकर 12 फीसदी कर सकती है। मुंबई में हुई जेट की बोर्ड बैठक में ऋणदाताओं को 8000 करोड़ रुपये के बकाया कर्ज के बदले 1 रुपये में 11.4 करोड़ शेयर आवंटित करने का निर्णय किया गया। इसके साथ ही बोर्ड ने गोयल, उनकी पत्नी अनीता और एतिहाद के प्रतिनिधियों केविन नाइट का इस्तीफा स्वीकार कर लिया। अंतरिम व्यवस्था के तहत जेट के स्वतंत्र निदेशक अशोक चावला बोर्ड के चेयरमैन होंगे। सूत्रों के मुताबिक गोयल लंदन से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये बैठक में शामिल हुए। मामले के जानकार एक शख्स ने बताया कि नया चेयरमैन संभवत: कोई बैंकर हो सकता है और इसकी घोषणा जल्द की जा सकती है। ऋणदाता आपात वित्तपोषण के तहत जेट में 1500 करोड़ रुपये लगाएंगे और नए निवेशक की तलाश के लिए 9 अप्रैल को अभिरुचि पत्र आमंत्रित करेंगे। गोयल ने ऋणदाताओं के साथ एक बाध्यकारी समझ जिसके तहत नया निवेशक आने पर वह अपनी हिस्सेदारी 10 फीसदी तक कर लेंगे। बैंकों को उम्मीद है कि सौदा मई के अंत तक पूरा हो जाएगा। स्टॉक एक्सचेंज को दी गई जानकारी में विमानन कंपनी ने कहा कि अंतरिम प्रबंधन समिति का गठन दैनिक परिचालन और नकदी प्रवाह के प्रबंधन के लिए किया गया है। गोयल ने अपने चाचा की ट्रैवल एजेंसी में कैशियर के तौर पर अपने कॅरियर की शुरुआत की थी और 1993 में जेट एयरवेज शुरू की थी। दो दशक तक कंपनी ने घरेलू विमानन बाजार पर राज किया लेकिन बाद में किफायती विमानन कंपनियों ने उसे कड़ी टक्कर दी।
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